भारत ने अंतरराष्ट्रीय महत्व के पांच नए आर्द्रभूमि स्थल नामित किए हैं, जिसमें तमिलनाडु में तीन आर्द्रभूमि स्थल (करीकिली पक्षी अभयारण्य, पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव), मिजोरम में एक (पाला आर्द्रभूमि) और मध्य प्रदेश में एक आर्द्रभूमि स्थल (साख्य सागर) शामिल हैं। इस प्रकार, देश में रामसर स्थलों की कुल संख्या 49 से बढ़कर 54 हो गयी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेंद्र यादव ने कहा, “यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 5 और भारतीय आर्द्रभूमि को अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि के रूप में रामसर की मान्यता मिली है।”
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पांच नए आर्द्रभूमि स्थल
- करीकिली पक्षी अभयारण्य :- कांचीपुरम जिले में स्तिथ इस अभ्यारण्य में 100 से ज्यादा पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं।
- पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट :- यह चेन्नई में एक मीठे पानी का मार्श है जो बंगाल की खाड़ी के निकट स्तिथ है।
- पिचवरम मैंग्रोव :- यह भारत के सबसे बड़े मेंग्रोव वनों में से एक है, जो लगभग 180 प्रजातियों का घर है।
- पाला अर्द्धभूमि:- यह एक प्राक्रतिक झील है, पाला या पालक झील मिजोरम के सियाहा जिले के फुरा गॉव में स्तिथ है।
- साख्य सागर:- शिवपुरी में साख्य सागर झील एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।
रामसर साइट क्या है?
- रामसर साइट एक आर्द्रभूमि स्थल है जिसे रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के लिए नामित किया गया है। रामसर नाम ईरान के रामसर शहर से आया है, जहां इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- आर्द्रभूमि पर कन्वेंशन को रामसर कन्वेंशन के रूप में भी जाना जाता है। यह यूनेस्को द्वारा 1971 में स्थापित एक अंतर सरकारी पर्यावरण संधि है और 1975 में लागू हुई।
- रामसर स्थलों के रूप में घोषित आर्द्रभूमि सम्मेलन के सख्त दिशानिर्देशों के तहत संरक्षित हैं।
- रामसर सूची का उद्देश्य आर्द्रभूमि के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को विकसित करना और बनाए रखना है जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण के लिए और उनके पारिस्थितिक तंत्र घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के रखरखाव के माध्यम से मानव जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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