हवाई अड्डे दुनिया के सबसे व्यस्त और ऊर्जा-गहन स्थानों में से एक हैं — रनवे की रोशनी से लेकर टर्मिनल की बिजली तक, हर चीज़ 24 घंटे चलती रहती है। इसी कारण जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा खपत की चिंताओं के बीच कई हवाई अड्डे अब नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) की ओर बढ़ रहे हैं।
केरल स्थित कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Cochin International Airport – CIAL) दुनिया का पहला ऐसा हवाई अड्डा है जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा (Solar Energy) से संचालित होता है। इसका अर्थ है कि रनवे, टर्मिनल, कार्गो भवन — सभी कार्य सौर ऊर्जा से चलते हैं।
यह उपलब्धि न केवल भारत की हरित ऊर्जा क्षमता को दुनिया के सामने लायी, बल्कि यह भी साबित किया कि बड़े पैमाने की आधारभूत संरचनाएँ पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना स्थायी रूप से संचालित हो सकती हैं।
कोचीन हवाई अड्डा 18 अगस्त 2015 को आधिकारिक रूप से पूरी तरह सौर ऊर्जा चालित (Fully Solar-Powered) बना।
इसके लिए हवाई अड्डे के कार्गो क्षेत्र के पास 45 एकड़ भूमि पर 12 मेगावाट (MWp) की विशाल सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की गई, जिसमें 46,000 से अधिक सौर पैनल लगाए गए।
ये पैनल सूरज की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, जिससे हवाई अड्डे की पूरी बिजली की आवश्यकता पूरी हो जाती है — और अतिरिक्त ऊर्जा राज्य ग्रिड को वापस दी जाती है, जिससे यह “पावर-न्यूट्रल” बन गया है।
कोचीन हवाई अड्डे की सौर ऊर्जा प्रणाली फोटोवोल्टिक पैनलों (Photovoltaic Panels) के माध्यम से काम करती है।
दिन में उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग हवाई अड्डे के संचालन में होता है, जबकि अतिरिक्त बिजली राज्य बिजली ग्रिड में भेजी जाती है।
दैनिक उत्पादन: लगभग 50,000–60,000 यूनिट बिजली
अतिरिक्त ऊर्जा: राज्य ग्रिड को दी जाती है
रखरखाव: विशेषज्ञ टीम निरंतर पैनलों की निगरानी करती है ताकि अधिकतम दक्षता बनी रहे
इससे हवाई अड्डा फॉसिल फ्यूल (जीवाश्म ईंधन) पर निर्भर हुए बिना पूरी तरह आत्मनिर्भर ऊर्जा उपयोग कर पाता है।
सन् 2018 में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने कोचीन हवाई अड्डे को “चैंपियन ऑफ द अर्थ” (Champion of the Earth Award) से सम्मानित किया — यह विश्व का सर्वोच्च पर्यावरणीय पुरस्कार है।
यह सम्मान हवाई अड्डे के नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग और पर्यावरण-अनुकूल नवाचार को मान्यता देता है। इस पहल से प्रेरित होकर भारत और विदेश के कई हवाई अड्डों — जैसे दिल्ली, जयपुर, और कुआलालंपुर — ने भी सौर परियोजनाएँ शुरू की हैं।
कोचीन हवाई अड्डे की सौर परियोजना ने पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है —
25 वर्षों में लगभग 3 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी।
लाखों लीटर जीवाश्म ईंधन की बचत।
वायु प्रदूषण में कमी और हरित विकास को प्रोत्साहन।
इस पहल से न केवल परिचालन लागत कम हुई है, बल्कि यह हवाई अड्डा विश्व स्तर पर पर्यावरण-अनुकूल अवसंरचना का आदर्श उदाहरण बन गया है।
लागत में बचत: सौर ऊर्जा से बिजली खर्च में भारी कमी।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता: बाहरी बिजली आपूर्ति पर निर्भरता समाप्त।
सतत विकास का उदाहरण: अन्य हवाई अड्डों को नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की प्रेरणा।
नवाचार केंद्र: इस मॉडल से भारत के परिवहन और सार्वजनिक क्षेत्रों में कई सौर परियोजनाएँ शुरू हुईं।
सूर्य की शक्ति असीम है: एक घंटे में पृथ्वी पर आने वाली सौर ऊर्जा पूरे साल की वैश्विक ऊर्जा जरूरतें पूरी कर सकती है।
सबसे तेज़ी से बढ़ता ऊर्जा स्रोत: सौर ऊर्जा आज दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता नवीकरणीय स्रोत है।
बादलों में भी प्रभावी: आधुनिक सोलर पैनल बादल या धुंध वाले मौसम में भी बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
बिजली बिल में कमी: सौर ऊर्जा उपयोग करने वाले घर और व्यवसाय बिजली खर्च में बड़ी बचत करते हैं।
जलवायु परिवर्तन से मुकाबला: सौर ऊर्जा ग्रीनहाउस गैसें नहीं छोड़ती, जिससे धरती को गर्म होने से बचाया जा सकता है।
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