भारतीय नौसेना को पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी वगीर प्राप्त हुई, जिसे अगले महीने सेवा में शामिल करने की योजना है। इस पनडुब्बी को सेवा में शामिल किये जाने से नौसेना की लड़ाकू क्षमता ऐसे वक्त में बढ़ने वाली है, जब चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। दो दिन पहले नौसेना ने स्वदेश निर्मित निर्देशित मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मोरमुगाओ को शामिल किया। भारतीय नौसेना चीन के बढ़ते प्रयासों पर चिंताओं की पृष्ठभूमि में भारत हिंद महासागर पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अपनी समुद्री क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
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प्रोजेक्ट-75 में स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है। पनडुब्बियों का निर्माण फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में किया जा रहा है। वागीर की शुरूआत 12 नवम्बर 2020 को हुई थी। इस वर्ष पहली फरवरी से इसका समुद्र में परीक्षण शुरू हुआ। पिछली पनडुब्बियों की तुलना में इसने बहुत कम समय में हथियार और सेंसर सहित सभी प्रमुख परीक्षण पूरे कर लिए हैं। भारतीय यार्ड में इन पनडुब्बियों का निर्माण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम है। 24 महीने की अवधि में नौसेना को तीसरी पनडुब्बी का सौंपा जाना महत्पूर्ण उपलब्धि है।
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