भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर घटाकर सात प्रतिशत कर दी है। देश के व्यापारिक संगठनों के संघ ने कहा कि अप्रैल 2022 में लगाए गए वृद्धि दर के 7.4 प्रतिशत के अनुमान को भूराजनैतिक अस्थिरता और उसके भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के कारण घटाया गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में वृद्धि दर के क्रमशः 14 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
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फिक्की के इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे (जुलाई 2022) के दौरान प्रतिभागियों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्थाओं की संभावनाओं पर ये कारण दबाव बना रहे हैं और इससे आर्थिक सुधारों में देरी की आशंका है। सर्वे में कहा गया है कि भारत के आर्थिक सुधार में मुश्किल के प्रमुख कारणों में जिंसों की बढ़ती कीमतें, आपूर्ति-पक्ष में व्यवधान, यूरोप में लंबे समय तक संघर्ष के साथ वैश्विक विकास की संभावनाएं शामिल हैं।
उद्योग निकाय ने बढ़ती कमोडिटी की कीमतों, आपूर्ति-पक्ष के व्यवधानों और यूरोप में लंबे समय तक संघर्ष के साथ वैश्विक विकास की संभावनाओं को भारत की आर्थिक सुधार के लिए प्रमुख जोखिम कारकों के रूप में सूचीबद्ध किया।
FICCI ने 2022-23 के लिए भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर 6.7% होने का अनुमान लगाया, जिसमें न्यूनतम और अधिकतम सीमा क्रमशः 5.4% और 7.0% है, जो कि RBI के अनुमानों के अनुरूप है। इसने सितंबर 2022 से मुद्रास्फीति के स्तर को धीमा करने और जून 2023 तक केवल 4% की सीमा में वापस आने की उम्मीद की।
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