भारतीय लाइट टैंक ‘ज़ोरावर’ का शुरुआती ऑटोमोटिव परीक्षण किया गया है। भारतीय लाइट टैंक के डेवलपमेंटल फील्ड फायरिंग ट्रायल का पहला चरण सफल रहा। फील्ड ट्रायल ने रेगिस्तानी इलाकों में इच्छित उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। टेस्ट के दौरान टैंक ने तय टारगेट पर अपेक्षित सटीकता से निशाना साध। यह टेस्ट रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सफलतापूर्वक किया।
जोरावर टैंक उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे कि पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए सक्षम है। पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए जोरावर को एक अत्यधिक बहुमुखी प्लेटफॉर्म माना जा रहा है। लेकिन, यह न केवल पहाड़ी इलाकों के लिए एक बेहतरीन टैंक है, बल्कि रेगिस्तानी इलाके में भी इसने अपना प्रभाव दिखाया है। रेगिस्तान में किए गए फील्ड परीक्षणों के दौरान, इस भारतीय लाइट टैंक ने सभी इच्छित उद्देश्यों को कुशलतापूर्वक पूरा किया। यहां ट्रायल के दौरान जोरावर टैंक ने असाधारण प्रदर्शन किया है।
प्रारंभिक चरण में, जोरावर टैंक की फायरिंग प्रदर्शन का कठोरता से मूल्यांकन किया गया है। इस मूल्यांकन के दौरान टैंक ने निर्धारित लक्ष्यों पर सटीकता से प्रहार किया। जोरावर को लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के सहयोग से डीआरडीओ की एक इकाई, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) द्वारा सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों सहित कई भारतीय उद्योग (एमएसएमई) ने देश के भीतर स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं की ताकत का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न उप-प्रणालियों के विकास में योगदान दिया है।
मंत्रालय ने बताया कि भारतीय सेना 350 से अधिक हल्के टैंक की तैनाती पर विचार कर रही है, जिनमें से अधिकतर को पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।
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