खेल जगत इस समय शोक में डूबा हुआ है, क्योंकि जर्मनी की दो बार की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और सात बार की विश्व चैंपियन लॉरा डालमायर का निधन हो गया है। 31 वर्षीय डालमायर की मौत पाकिस्तान के कराकोरम पर्वत श्रृंखला में पर्वतारोहण के दौरान हुए एक हादसे में हो गई। बायथलॉन ट्रैक पर अपने ऐतिहासिक प्रदर्शन और पर्वतारोहण के प्रति गहरे जुनून के लिए पहचानी जाने वाली डालमायर का यह असमय जाना उनके प्रशंसकों और खेल जगत के लिए एक गहरा आघात है। खिलाड़ी, समर्थक और खेल प्रेमी सभी इस महान एथलीट को भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
कराकोरम में हुआ घातक हादसा
28 जुलाई 2025 को लॉरा डालमायर पाकिस्तान के कराकोरम पर्वत श्रृंखला में स्थित लैला पीक (6,069 मीटर) पर चढ़ाई कर रही थीं, जब लगभग 5,700 मीटर की ऊंचाई पर वह एक चट्टानों के गिरने की घटना की चपेट में आ गईं। उनकी पर्वतारोहण साथी ने तुरंत बचाव सेवाओं को सूचना दी, और एक अंतरराष्ट्रीय बचाव दल रवाना किया गया। स्थान अत्यंत दुर्गम होने के कारण हेलीकॉप्टर 29 जुलाई की सुबह ही मौके पर पहुंच सका, लेकिन तब तक जीवन रक्षण की सारी संभावनाएं समाप्त हो चुकी थीं। हालांकि एक रिकवरी ऑपरेशन शुरू किया गया, लेकिन उसी शाम उसे रद्द करना पड़ा। उनके प्रतिनिधियों ने 30 जुलाई 2025 को उनकी मृत्यु की पुष्टि की, जिससे विश्व खेल समुदाय स्तब्ध रह गया।
खेल उपलब्धियाँ: एक महान करियर
लॉरा डालमायर बायथलॉन इतिहास की सबसे सफल खिलाड़ियों में गिनी जाती थीं।
उन्होंने 2012-13 में IBU वर्ल्ड कप में 19 वर्ष की उम्र में पदार्पण किया।
सोची 2014 विंटर ओलंपिक में जर्मनी का प्रतिनिधित्व किया और व्यक्तिगत स्पर्धा में 13वां स्थान हासिल किया।
प्योंगचांग 2018 ओलंपिक में उन्होंने इतिहास रचते हुए स्प्रिंट और पर्सूट दोनों में स्वर्ण पदक जीते — ऐसा करने वाली पहली महिला बायथलीट बनीं। साथ ही एक कांस्य पदक भी जीता।
उनका करियर चरम पर था जब उन्होंने 2017 बायथलॉन वर्ल्ड चैंपियनशिप (ऑस्ट्रिया) में 6 में से 5 स्वर्ण और 1 रजत पदक जीते।
उन्होंने 2016-17 में ओवरऑल वर्ल्ड कप खिताब जीता और दुनिया की नंबर 1 खिलाड़ी बनीं।
बायथलॉन से आगे का जीवन
मई 2019 में केवल 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने पेशेवर बायथलॉन से संन्यास ले लिया और खुद को अपने जीवन भर के जुनून — पर्वतारोहण को समर्पित कर दिया। जुलाई 2025 की शुरुआत में ही उन्होंने ग्रेट ट्रैंगो टॉवर (6,287 मीटर) की सफल चढ़ाई की थी। लैला पीक पर चढ़ाई के दौरान यह दुखद घटना घटी, जिससे एक महान एथलीट की प्रेरणादायक यात्रा असमय समाप्त हो गई।
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