भारतीय नौसेना को दूसरा पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत ‘अंद्रोथ’ मिल गया है। रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक उपक्रम कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड ने पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत ‘अंद्रोथ’ भारतीय नौसेना को सौंपा दिया है। पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत ‘अंद्रोथ’ मिलने के बाद नौसेना की शक्ति काफी इजाफा होगा।
भारत की लंबी समुद्री तटरेखा और कई सामरिक द्वीप हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में पनडुब्बी गतिविधियों की बढ़ोतरी को देखते हुए, पुराने अभय-श्रेणी (Abhay-class) कॉर्वेट्स को बदलने के लिए यह परियोजना शुरू की गई।
ASW SWC का उद्देश्य है —
तटीय (लिटोरल) क्षेत्रों में पनडुब्बियों का पता लगाना व नष्ट करना
माइंस बिछाने के अभियान
तटीय निगरानी (Coastal Surveillance)
नौसैनिक ठिकानों व बंदरगाहों की सुरक्षा
रक्षा मंत्रालय ने कुल 16 ASW SWC निर्माण को मंजूरी दी है — 8 GRSE द्वारा और 8 कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा। ‘अंद्रोथ’ इस परियोजना का दूसरा जहाज है, पहले जहाज ‘अर्नाला’ की सुपुर्दगी पहले हो चुकी है।
स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण
यह पूरी तरह से भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) के वर्गीकरण नियमों के तहत स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया है और इसमें 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है। यह सरकार की आत्मनिर्भर भारत नीति के अनुरूप है।
तकनीकी विवरण
लंबाई: लगभग 77 मीटर
गहराई (ड्राफ्ट): लगभग 2.7 मीटर (उथले जल संचालन के लिए उपयुक्त)
विस्थापन (Displacement): लगभग 900 टन
प्रणोदन (Propulsion): डीज़ल इंजन और वॉटरजेट संयोजन
रेंज: लगभग 1800 समुद्री मील
वॉटरजेट प्रणोदन पारंपरिक प्रोपेलरों की तुलना में अधिक मैन्युवरेबिलिटी (संचालन क्षमता) प्रदान करता है, जो तटीय और संकीर्ण क्षेत्रों में संचालन के लिए आवश्यक है।
हथियार और सेंसर
हल्के टॉरपीडो
स्वदेशी एंटी-सबमरीन रॉकेट
30 मिमी नौसैनिक तोप और 12.7 मिमी गन
उन्नत शैलो वाटर सोनार
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम
ये सभी हथियार और उपकरण जहाज को तटीय क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से पनडुब्बी शिकार (Submarine Hunting) करने की क्षमता देते हैं।
‘अंद्रोथ’ नाम लक्षद्वीप द्वीपसमूह के सबसे बड़े द्वीप — अंद्रोट द्वीप से लिया गया है। यह रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है। इस नाम से यह संदेश जाता है कि भारत अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा और द्वीप क्षेत्रों की निगरानी के लिए दृढ़संकल्प है।
समुद्री सुरक्षा में बढ़ोतरी
‘अंद्रोथ’ जैसे ASW SWC नौसेना को तटीय उथले क्षेत्रों में अधिक प्रभावी बनाते हैं, जहाँ बड़े युद्धपोत आसानी से संचालन नहीं कर सकते। ये जहाज —
नौसैनिक ठिकानों और बंदरगाहों के पास पानी के नीचे खतरों को रोकते हैं
व्यापारिक जहाज़ों के मार्ग सुरक्षित करते हैं
द्वीप क्षेत्रों की गश्त में मदद करते हैं
आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र
80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ बने ‘अंद्रोथ’ से भारत की बढ़ती रक्षा विनिर्माण क्षमता झलकती है। यह आयात पर निर्भरता घटाता है और देश में रोज़गार व तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा देता है।
संचालन एकीकरण
ये जहाज नौसेना के अन्य साधनों — जैसे समुद्री गश्ती विमान, पनडुब्बियाँ और ड्रोन — के साथ मिलकर बहु-स्तरीय (multi-layered) समुद्री सुरक्षा ढांचा तैयार करेंगे।
प्रशिक्षण: नए प्लेटफॉर्म पर निरंतर प्रशिक्षण की आवश्यकता।
रखरखाव: वॉटरजेट प्रणोदन और उन्नत सोनार सिस्टम के लिए मज़बूत ढाँचे की ज़रूरत।
समय पर सुपुर्दगी: सभी 16 जहाज समय पर मिलने चाहिए, तभी ऑपरेशनल तैयारियाँ पूरी होंगी।
‘अंद्रोथ’ GRSE द्वारा बनाए जा रहे 8 जहाजों में दूसरा ASW SWC है।
13 सितम्बर 2025 को कोलकाता में भारतीय नौसेना को सौंपा गया।
इसमें वॉटरजेट प्रणोदन, टॉरपीडो, ASW रॉकेट और उन्नत सोनार लगे हैं।
नाम लक्षद्वीप के अंद्रोट द्वीप पर आधारित है।
80% से अधिक स्वदेशी सामग्री — आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा।
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