तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाईलामा ने 06 जुलाई 2023 को मैकलोडगंज में 88वां जन्मदिन मनाया। दलाईलामा के जन्मदिन समारोह में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू समेत दुनिया भर की कई बड़ी हस्तियां शामिल हुईं। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को फोन कर जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने इसके बारे में ट्वीट कर जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि 88वें जन्मदिन के अवसर पर धर्मगुरु दलाई लामा से फोन पर बात की। हम उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।
दलाई लामा को तिब्बत का सबसे बड़ा धर्मगुरु कहा जाता है। चीन से तनाव के बीच दलाई लामा पिछले 64 साल से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं। उन्हें 1989 में नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया था। दलाई लामा एक मंगोलियाई पद है, जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर। तिब्बत में अब तक 14 दलाई लामा रह चुके हैं। ल्हामो थोंडुप को 22 फरवरी 1940 को 14वां दलाई लामा घोषित किया गया था। तब उनकी उम्र महज 5 साल थी। उन्हें तेनजिन ग्यात्सो भी कहा जाता है। 1937 में जब तिब्बत के धर्मगुरुओं ने दलाई लामा को देखा तो पाया कि वो 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो के अवतार थे। सभी टेस्ट पार करने के बाद धर्मगुरुओं ने दलाई लामा को धार्मिक शिक्षा दी।
6 जुलाई, 1935 को तिब्बतियों के धर्मगुरु और 14वें दलाई लामा का जन्मदिन है। माना जाता है कि 1937 में जब तिब्बत के धर्मगुरुओं ने दलाई लामा को देखा था तो उन्हें वे 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो के अवतार नजर आए थे। धर्मगुरुओं ने दलाई लामा को धार्मिक शिक्षा दिलाई और महज 6 साल की उम्र में ही वे तिब्बत के 14वें दलाई लामा बन गए। दलाई लामा को शिक्षा में बौद्ध धर्म, मेडिटेशन, तर्क विज्ञान, संस्कृति, प्राकृतिक चिकित्सा के साथ-साथ संगीत और ज्योतिष की शिक्षा दी गई। दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते है और यही से तिब्बत की निर्वासित सरकार को चलाते है। इसका चुनाव भी होता है, जिसके लिए दुनियाभर के तिब्बती शरणार्थी वोट करते हैं। वोट डालने के लिए शरणार्थी तिब्बतियों को पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
दलाई लामा तिब्बत के सबसे बड़े धार्मिक नेता को कहा जाता है। लामा का मतलब गुरु होता है जो अपने लोगों को सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं। तिब्बत के वर्तमान दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो हैं, जो 1959 से ही भारत में रह रहे हैं।
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