भारत की सबसे प्रतिष्ठित अर्धसैनिक बलों में से एक केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) ने 27 जुलाई 2025 को अपना 87वां स्थापना दिवस मनाया। 1939 में स्थापना के बाद से CRPF ने देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने और भीतरी एवं बाहरी खतरों से भारत की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाई है। “सेवा और निष्ठा” (Service and Loyalty) को अपना आदर्श वाक्य मानते हुए, यह बल समर्पण, बहादुरी और दृढ़ता का प्रतीक बना हुआ है।
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) की स्थापना 27 जुलाई 1939 को “क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस” के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासनकाल के दौरान रियासतों में हो रहे उपद्रवों को नियंत्रित करना था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, बल को पुनर्गठित कर 28 दिसंबर 1949 को “केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल” के रूप में एक संसद अधिनियम के तहत औपचारिक मान्यता दी गई।
इस पहल को भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का समर्थन प्राप्त था, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक मजबूत और अनुशासित बल की कल्पना की थी। आज CRPF देश की सबसे बड़ी और सम्मानित अर्धसैनिक सेनाओं में से एक बन चुकी है।
महिला बटालियन
CRPF भारत का एकमात्र अर्धसैनिक बल है, जिसमें छह महिला बटालियन हैं। इसकी शुरुआत 88 (महिला) बटालियन से 1986 में हुई थी। ये बटालियन, जिनका मुख्यालय दिल्ली में है, महिला आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों को संवेदनशीलता और दक्षता के साथ नियंत्रित करने में सक्षम हैं।
वीआईपी सुरक्षा शाखा
CRPF की VIP सुरक्षा इकाई केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, आध्यात्मिक गुरुओं और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करती है। यह गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशन में कार्य करती है और अपनी सटीकता और पेशेवर कार्यशैली के लिए जानी जाती है।
COBRA (कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन)
2008 से 2011 के बीच गठित की गई COBRA इकाइयाँ जंगल युद्ध और गुरिल्ला रणनीतियों में विशेषज्ञ हैं। ये विशेष रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार और झारखंड में कार्यरत हैं। इन्हें ‘जंगल योद्धा‘ के नाम से जाना जाता है।
रैपिड एक्शन फोर्स (RAF)
1992 में स्थापित RAF का उद्देश्य दंगों और जन आंदोलन जैसी स्थितियों से निपटना है। इसकी त्वरित कार्रवाई क्षमता के लिए यह जानी जाती है। 2003 में इसे राष्ट्रपति का ध्वज प्रदान किया गया। RAF की टुकड़ियाँ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भी भाग लेती हैं।
CRPF का आदर्श वाक्य है – “सेवा और निष्ठा”। यह बल गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और इसके प्रमुख कार्य हैं:
कानून और व्यवस्था बनाए रखना
नक्सल विरोधी अभियान और विद्रोह विरोधी ऑपरेशन
सीमा संघर्ष या आतंकवादी हमलों के समय सेना की सहायता करना
हॉट स्प्रिंग्स की लड़ाई (1959)
21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में, CRPF के जवानों ने चीनी सेना के विरुद्ध वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी। अत्यधिक ठंड और संख्या में कम होने के बावजूद, बल ने साहसपूर्वक मोर्चा संभाला, जिसमें 10 जवान शहीद हुए। इस बलिदान की स्मृति में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।
सरदार पोस्ट की लड़ाई (1965)
रन ऑफ कच्छ में पाकिस्तान की ऑपरेशन डेजर्ट हॉक के दौरान, CRPF ने 3,500 पाकिस्तानी सैनिकों का सामना केवल कुछ जवानों के साथ किया। भारी असमानता के बावजूद, CRPF ने दुश्मन के 14 सैनिकों को मार गिराया और 4 को जीवित पकड़ लिया, जिससे दुश्मन को पीछे हटना पड़ा।
संसद पर हमला (2001)
13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए आत्मघाती हमले में CRPF जवानों ने 30 मिनट की मुठभेड़ में पांचों आतंकवादियों को मार गिराया। एक महिला कांस्टेबल ने राष्ट्र की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।
अयोध्या हमला (2005)
5 जुलाई 2005 को अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर पर हुए आतंकी हमले को CRPF ने नाकाम कर दिया। सभी पांच आतंकियों को मार गिराया गया और एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया गया।
लद्दाख की बर्फीली सीमाओं से लेकर कच्छ के रेगिस्तान तक, दंगों की स्थिति से लेकर वीआईपी सुरक्षा और विद्रोह विरोधी अभियानों तक, CRPF ने अद्वितीय साहस और समर्पण का परिचय दिया है। युद्धकाल हो या शांतिकाल, इस बल की भूमिका भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक और गौरवशाली रही है।
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