लक्ष्मीकांत पार्सेकर की अगुवाई वाली पूर्व सरकार ने नारियल के पेड़ का वर्गीकरण ‘ताड़’ में बदल दिया था. विधानसभा ने मानसून सत्र के आखिरी दिन गोवा, दमन और दीव (संरक्षण) पेड़ अधिनियम, 1984 को नारियल के वृक्षों के कटाव को विनियमित करने और इसे एक पेड़ के रूप में पुन: परिष्कृत करने के लिए पारित किया था.
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