कोल इंडिया और आईआईटी मद्रास मिलकर शुरू करेंगे सतत ऊर्जा केंद्र

एक ऐतिहासिक सहयोग के तहत कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने आईआईटी मद्रास (IIT Madras) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत एक सेंटर फॉर सस्टेनेबल एनर्जी (Centre for Sustainable Energy) की स्थापना की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण (clean energy transition) को गति देना है — जिसमें लो-कार्बन तकनीक, खदानों का पुन: उपयोग (mine repurposing) और हरित नवाचार (green innovations) जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। यह समझौता दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ, जो शैक्षणिक विशेषज्ञता और औद्योगिक परिवर्तन के एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्र के उद्देश्य

आगामी सस्टेनेबल एनर्जी केंद्र नवाचार और सततता-केंद्रित अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र होगा। इसके मुख्य उद्देश्य हैं —

  • पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने हेतु लो-कार्बन तकनीकों का विकास

  • कोयला खदानों का पुन: उपयोग कर उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा और पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के लिए तैयार करना

  • भारत की ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बोनाइजेशन दोनों को साथ लेकर चलने वाले स्वदेशी समाधान तैयार करना

  • कोल इंडिया की संचालन रणनीति में स्वच्छ ऊर्जा विविधीकरण को बढ़ावा देना

यह पहल इस बात का संकेत है कि कोल इंडिया एक पारंपरिक ऊर्जा उत्पादक कंपनी से आगे बढ़कर भारत की हरित ऊर्जा यात्रा का एक प्रमुख भागीदार बनने की दिशा में अग्रसर है।

कोल इंडिया के लिए रणनीतिक महत्व

कोल इंडिया, जो विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है, पारंपरिक रूप से जीवाश्म ईंधन से जुड़ी रही है।
लेकिन जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और वैश्विक दबाव को देखते हुए कंपनी अब भारत के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप अपनी रणनीति को बदल रही है।

CIL के चेयरमैन पी. एम. प्रसाद ने कहा कि यह साझेदारी कोल इंडिया की स्वदेशी स्वच्छ तकनीकों के विकास में सक्रिय भूमिका को दर्शाती है।
उन्होंने जोर दिया कि इस तरह के उद्योग-शैक्षणिक सहयोग ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और कम-उत्सर्जन वाले ऊर्जा तंत्र की ओर बढ़ने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

आईआईटी मद्रास की भूमिका और दृष्टि

आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटी के नेतृत्व में यह संस्थान परियोजना के लिए शैक्षणिक और तकनीकी आधार प्रदान करेगा।
संस्थान अपनी इंजीनियरिंग, ऊर्जा प्रणाली और डेटा साइंस की विशेषज्ञता का उपयोग करेगा ताकि निम्नलिखित क्षेत्रों में विस्तार योग्य समाधान (scalable solutions) विकसित किए जा सकें —

  • खनन में नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण (Renewable integration)

  • स्वच्छ ईंधन और भंडारण तकनीकें (Clean fuels & storage technologies)

  • ग्रीन हाइड्रोजन मार्ग (Green hydrogen pathways)

  • उत्सर्जन कमी ढांचे (Emission reduction frameworks)

प्रो. कामकोटी ने कहा कि इस तरह के उद्योग-शैक्षणिक सहयोग (industry-academia collaboration) भारत की पेरिस समझौते (Paris Agreement) और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) के तहत जलवायु प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने में अत्यंत अहम भूमिका निभाते हैं।

मानव पूंजी और अनुसंधान केंद्रितता

इस केंद्र का एक मुख्य स्तंभ मानव पूंजी का विकास होगा। इसके तहत —

  • पीएच.डी. और पोस्टडॉक्टरल कार्यक्रम सतत ऊर्जा पर केंद्रित होंगे

  • इंजीनियरिंग और विज्ञान छात्रों के लिए इंटर्नशिप और प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराए जाएंगे

  • युवाओं के लिए संयुक्त अनुसंधान अवसर (Collaborative research opportunities) प्रदान किए जाएंगे

यह पहल आने वाले दशकों में भारत के स्वच्छ ऊर्जा रूपांतरण (clean energy transformation) को आगे बढ़ाने में सक्षम कुशल कार्यबल (skilled workforce) तैयार करने में मदद करेगी।

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vikash

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