अप्रैल 2024 के प्रथम सप्ताह में एनर्जी कार्गो ट्रैकर ‘वोर्टेक्सा’ ने अपनी रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन समुद्री मार्गों के माध्यम से रूसी कच्चे तेल के प्राथमिक आयातक के रूप में भारत से आगे निकल गया है।
मार्च 2024 में, चीन ने समुद्र के रास्ते 1.82 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) रूसी कच्चे तेल का आयात किया। यह भारत के 1.36 मिलियन बीपीडी से अधिक था। इसके अतिरिक्त, चीन पाइपलाइनों के माध्यम से भी रूसी तेल प्राप्त करता है।
भारत लगभग अठारह महीनों तक समुद्री रूसी कच्चे तेल का प्रमुख आयातक रहा था। चीन का फरवरी में 1.3 मिलियन बीपीडी का आयात किया जो कि भारत के 1.27 मिलियन बीपीडी से थोड़ा अधिक था। जबकि मार्च 2024 में यह अंतर काफी बढ़ गया।
इस बदलाव के बावजूद, मार्च में भारत के रूसी तेल के आयात में महीने-दर-महीने 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह रियायती बैरल प्राप्त करने की ओर बढ़ते रुझान का संकेत देता है। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत का रूसी आयात इराक और सऊदी अरब सहित अन्य देशों से अधिक है। वोर्टेक्सा के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के लिए कच्चे तेल का कुल आयात मार्च में बढ़कर 4.89 मिलियन बीपीडी हो गया। जबकि फरवरी में 4.41 मिलियन बीपीडी था।
पारंपरिक मध्य-पूर्वी आपूर्तिकर्ताओं में, इराक से मार्च 2024 में भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति में पर्याप्त वृद्धि देखी गई। जबकि इसी समय सऊदी अरब से आयात में गिरावट आई।
इराक ने मार्च में 1.09 मिलियन बीपीडी कच्चे तेल की आपूर्ति की। जो पिछले महीने के 76,000 बीपीडी से एक बड़ा उछाल है। सऊदी अरब से आयात मार्च में 76,000 बीपीडी रहा, जो फरवरी में 82,000 बीपीडी से कम है।
रूस-युक्रेन संघर्ष के कारण पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाये गए विभिन्न प्रतिबंधों के कारण कई यूरोपीय देश रुसी तेल से किनारा करने लगे। इसी का लाभ उठाकर भारत रूस से काफी मात्रा में कच्चे तेल का आयात किया। इससे भारत को कई प्रकार से लाभ हुआ। और रूस से आयातित अपेक्षाकृत सस्ते तेल से भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूर्ण करने में सफल रहा। एक समय ऐसा भी था जब भारत, रूस के कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक देश था। रूस भी भारत को सर्वाधिक कच्चे तेल के आपूर्तिकर्ता देश के रूप में शामिल हो गया था।
रूसी कच्चे तेल पर भारत की बढ़ती निर्भरता 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से भू-राजनीतिक तनाव से उपजी है। इस संघर्ष से पूर्व, भारत के कुल कच्चे तेल के आयात में रूस की हिस्सेदारी केवल 0.2% थी। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगियों, जिन्हें ओपेक+ के नाम से जाना जाता है, ने कच्चे तेल की कीमतों को स्थिर करने के लिए उत्पादन में कटौती जारी रखी है। संगठन ने 2024 की दूसरी तिमाही में 2.2 मिलियन बीपीडी की स्वैच्छिक तेल आपूर्ति कटौती को बढ़ा दिया।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
टोक्यो के शिबुया वार्ड में स्थित स्केयरक्रो इनकॉर्पोरेटेड ने अपने पशु सप्लीमेंट, पिनफेनॉन (एस) (आर)…
18वां प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन 8 जनवरी से 10 जनवरी, 2025 तक ओडिशा के…
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पुष्टि की है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एचडीएफसी बैंक,…
‘प्रोफेशनल गोल्फ टूर ऑफ इंडिया (पीजीटीआई)’ ने अमनदीप जोहल को अपना नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी…
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 नवंबर को सिलवासा के ज़ांडा चौक पर स्वामी विवेकानंद विद्या…
RBI ने एक नया ढांचा पेश किया है जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को भारतीय…