शंघाई में आयोजित वर्ल्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉन्फ़्रेंस (WAIC) 2025 के दौरान चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास और उससे जुड़ी सुरक्षा जोखिमों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए वैश्विक सहमति की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उनका यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी प्रतिस्पर्धा तेज़ होती जा रही है, और दोनों देश वैश्विक AI नेतृत्व के लिए प्रयासरत हैं। ली क्यांग ने कहा कि AI का विकास मानवता के लिए अपार संभावनाएं रखता है, लेकिन इसके साथ जुड़े खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए सभी देशों को मिलकर एक जिम्मेदार और सुरक्षित ढांचा तैयार करना होगा।
नवाचार और सुरक्षा के बीच संतुलन की आवश्यकता
चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग ने ज़ोर देकर कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जहां विकास और नवाचार के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करता है, वहीं यह गलत सूचना के प्रसार, नौकरी छिनने, नैतिक प्रश्नों, और तकनीकी नियंत्रण खोने के खतरों जैसे गंभीर जोखिम भी उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि दुनिया को तत्काल एक साझा ढांचे की आवश्यकता है जो AI की प्रगति को सुरक्षा विनियमों के साथ संतुलित कर सके।
ओपन-सोर्स विकास को बढ़ावा
ली क्यांग ने घोषणा की कि चीन की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय AI सहयोग संगठन की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि चीन ओपन-सोर्स AI को बढ़ावा देगा ताकि विकासशील देश भी नवीनतम तकनीकों का लाभ उठा सकें। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि देश प्रौद्योगिकीय एकाधिकार और अवरोधों में लगे रहेंगे, तो AI केवल कुछ शक्तिशाली देशों और कंपनियों तक ही सीमित रह जाएगा।
ट्रंप की विनियमन-मुक्त नीति
ली क्यांग की टिप्पणी उस समय आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने AI नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कम-नियमन रणनीति की घोषणा की। उन्होंने निजी क्षेत्र की वृद्धि को बाधित करने वाले नियमों को हटाने का वादा किया, जिससे अमेरिका की AI में वैश्विक बढ़त सुनिश्चित की जा सके।
चीन पर निर्यात प्रतिबंध
साथ ही, अमेरिका ने उन्नत चिप्स के चीन को निर्यात पर प्रतिबंधों का विस्तार किया है, यह कहते हुए कि ये तकनीकें बीजिंग की सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकती हैं और अमेरिका की तकनीकी बढ़त को खतरे में डाल सकती हैं।
रुकावटों पर काबू
ली क्यांग ने माना कि कंप्यूटिंग पावर और चिप्स की कमी चीन की AI प्रगति में एक बड़ी बाधा है। फिर भी, उन्होंने घरेलू स्तर पर हुए महत्वपूर्ण तकनीकी विकास की ओर इशारा किया। उदाहरण के लिए, जनवरी 2025 में चीनी स्टार्टअप DeepSeek ने एक ऐसा AI मॉडल लॉन्च किया, जो अमेरिकी प्रणालियों के बराबर था, जबकि उसने कमज़ोर चिप्स का उपयोग किया।
AI को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना
चीन ने AI विकास को अपनी तकनीकी आत्मनिर्भरता रणनीति का स्तंभ घोषित किया है, और सरकार ने इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए नीतिगत समर्थन और निवेश का वादा किया है।
विशेषज्ञों की चेतावनियाँ
WAIC सम्मेलन में नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी जियोफ्री हिंटन, जिन्हें “AI के गॉडफादर” के रूप में जाना जाता है, ने AI विकास की तुलना बाघ के शावक को पालने से की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सावधानीपूर्वक शासन नहीं किया गया, तो AI अनियंत्रित हो सकता है – जैसे बड़ा हुआ बाघ अपने मालिक पर हमला कर दे।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग की पुकार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक वीडियो संदेश में AI शासन को “अंतरराष्ट्रीय सहयोग की एक निर्णायक परीक्षा” बताया। वहीं फ्रांस की AI दूत ऐनी बुवेरो ने कहा कि AI के सुरक्षित और नैतिक उपयोग के लिए वैश्विक कार्रवाई आवश्यक है।
फरवरी 2025 में पेरिस में आयोजित AI शिखर सम्मेलन में 58 देशों—जैसे चीन, फ्रांस और भारत, साथ ही यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ आयोग—ने AI शासन पर सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई थी। हालांकि, अमेरिका और ब्रिटेन ने इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया, यह कहते हुए कि अत्यधिक विनियमन नवाचार में बाधा बन सकता है।
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