चीन ने टीएमएसआर में पहली बार थोरियम-यूरेनियम ईंधन रूपांतरण में सफलता प्राप्त की

परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए, चीन ने पहली बार थोरियम से यूरेनियम (Thorium-to-Uranium) ईंधन रूपांतरण को एक थोरियम मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर (TMSR) के भीतर सफलतापूर्वक संपन्न किया है — जो विश्व का एकमात्र परिचालित रिएक्टर है। 3 नवंबर 2025 को घोषित यह सफलता चौथी पीढ़ी की परमाणु तकनीक के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो भविष्य के लिए अधिक सुरक्षित, दक्ष और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की दिशा में मार्ग प्रशस्त करती है।

थोरियम मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर (TMSR) क्या है?

थोरियम मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर एक उन्नत परमाणु ऊर्जा प्रणाली है, जिसमें

  • शीतलक (coolant) के रूप में पानी की जगह पिघला हुआ नमक (molten salt) उपयोग होता है,

  • और ईंधन के रूप में थोरियम प्रयुक्त किया जाता है।

उच्च तापमान वाले नमक मिश्रण से यह प्रणाली

  • अधिक ऊर्जा दक्षता,

  • तथा स्वाभाविक सुरक्षा (passive safety) प्रदान करती है।

TMSR की प्रमुख विशेषताएँ

  • वायुमंडलीय दाब पर संचालन – विस्फोट का जोखिम बहुत कम

  • पानी की आवश्यकता नहीं – शुष्क (सूखे) क्षेत्रों के लिए उपयुक्त

  • उच्च तापीय उत्पादन – बिजली या औद्योगिक उपयोग के लिए

  • स्वचालित सुरक्षा तंत्र – तापमान अधिक होने पर रिएक्टर स्वयं बंद हो जाता है

यह प्रणाली थोरियम से अधिक ऊर्जा निकाल सकती है, जितनी पारंपरिक रिएक्टर यूरेनियम से प्राप्त कर पाते हैं, और कम परमाणु अपशिष्ट उत्पन्न करती है।

थोरियम से यूरेनियम ईंधन रूपांतरण

  • थोरियम-232 (Th-232) प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, लेकिन यह प्रत्यक्ष रूप से विखंडनीय (fissile) नहीं होता।

  • इसे न्यूट्रॉन अवशोषण के माध्यम से यूरेनियम-233 (U-233) में परिवर्तित करना पड़ता है।

  • चीन की इस उपलब्धि में यह रूपांतरण TMSR के भीतर सफलतापूर्वक किया गया, जो थोरियम ईंधन चक्र की प्रायोगिक पुष्टि (proof of concept) है।

यह उपलब्धि क्यों महत्वपूर्ण है?

  • थोरियम को अगली पीढ़ी के परमाणु ईंधन के रूप में प्रमाणित करती है

  • रिएक्टर के भीतर यू-233 का उत्पादन (breeding) संभव बनाती है

  • सतत, स्वच्छ और दीर्घकालिक परमाणु ऊर्जा प्रणालियों का मार्ग प्रशस्त करती है

भारत की समानांतर थोरियम दृष्टि

भारत लंबे समय से थोरियम आधारित तीन-चरणीय परमाणु कार्यक्रम पर कार्य कर रहा है,
जिसका तीसरा चरण विशेष रूप से थोरियम रिएक्टरों के विकास पर केंद्रित है।

प्रमुख भारतीय पहलें:

  • उन्नत भारी जल रिएक्टर (AHWR):
    बार्क (BARC) द्वारा विकसित किया जा रहा प्रोटोटाइप, जो थोरियम उपयोग का प्रदर्शन करेगा।

  • भारतीय मोल्टन सॉल्ट ब्रीडर रिएक्टर (IMSBR):
    थोरियम आधारित MSR तकनीक स्थापित करने का उद्देश्य रखता है।

थोरियम भंडार (Thorium Reserves):

भारत के पास विश्व के सबसे बड़े थोरियम भंडार हैं, मुख्यतः —

  • केरल और ओडिशा: मोनाजाइट रेत (8–10% थोरियम)

  • साथ ही आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी मौजूद

सारांश

चीन की यह सफलता न केवल वैश्विक परमाणु प्रौद्योगिकी में नई दिशा देती है, बल्कि भारत के दीर्घकालिक थोरियम ऊर्जा कार्यक्रम को भी नई प्रेरणा प्रदान करती है —जो भविष्य में सुरक्षित, आत्मनिर्भर और हरित ऊर्जा उत्पादन की कुंजी बन सकता है।

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vikash

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