छत्तीसगढ़ ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। बिलासपुर जिले के कोपरा जलाशय को राज्य का पहला रामसर स्थल घोषित किया गया है। इस मान्यता के साथ छत्तीसगढ़ अब अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों (Wetlands) के वैश्विक मानचित्र पर शामिल हो गया है। यह उपलब्धि जैव विविधता संरक्षण, सतत जल प्रबंधन और जलवायु सहनशीलता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है।
12 दिसंबर 2025 को कोपरा जलाशय को आधिकारिक रूप से रामसर स्थल घोषित किया गया। यह उपलब्धि राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण, वन विभाग के अधिकारियों, पर्यावरण विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और स्थानीय समुदायों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।
यह एक मीठे पानी की आर्द्रभूमि प्रणाली है
प्राकृतिक और मानव-निर्मित दोनों विशेषताओं का समावेश
मुख्य रूप से वर्षा पर आधारित (Rain-fed)
छोटी मौसमी धाराओं से पोषित
अर्ध-ग्रामीण क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण जल स्रोत
इन सभी विशेषताओं ने कोपरा जलाशय को रामसर कन्वेंशन के मानदंडों के अनुरूप बनाया।
कोपरा जलाशय केवल एक जलाशय नहीं, बल्कि एक समृद्ध पारिस्थितिक केंद्र (Ecological Hotspot) है।
मछलियों, उभयचरों, सरीसृपों और कीटों सहित जलीय जैव विविधता का संरक्षण
जलीय वनस्पतियों की प्रचुर वृद्धि
आसपास के क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक
स्थानीय जलवायु और जल चक्र को नियंत्रित करने में प्राकृतिक भूमिका
इन्हीं कारणों से कोपरा जलाशय ने रामसर मानकों को सफलतापूर्वक पूरा किया।
पारिस्थितिकी के साथ-साथ कोपरा जलाशय का स्थानीय लोगों के जीवन में भी अत्यंत महत्व है।
पीने के पानी की आपूर्ति
कृषि भूमि के लिए सिंचाई सुविधा
खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका को समर्थन
मौसमी जल संकट से निपटने में मदद
यह मानव आवश्यकताओं और प्राकृतिक पारिस्थितिकी सेवाओं के संतुलन को दर्शाता है, जो रामसर दर्शन का मूल सिद्धांत है।
कोपरा जलाशय को रामसर मान्यता दिलाने में पक्षी जैव विविधता की भूमिका भी अहम रही।
रिवर टर्न (River Tern)
कॉमन पोचार्ड (Common Pochard)
मिस्री गिद्ध (Egyptian Vulture)
यह जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए शीतकालीन पड़ाव के रूप में कार्य करता है और वैश्विक प्रवासन मार्गों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दुर्लभ एवं संकटग्रस्त प्रजातियों की उपस्थिति ने इसकी अंतरराष्ट्रीय महत्ता को और मजबूत किया।
अंजर विजन 2047 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
वर्ष 2030 तक 20 आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल का दर्जा दिलाना
कोपरा जलाशय का रामसर सूची में शामिल होना इस दिशा में पहला और महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है:
वैश्विक पर्यावरण मानकों के प्रति
आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए
जलवायु अनुकूलन रणनीतियों को अपनाने की दिशा में
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