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भारत का FY23 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4% रहा

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केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रहा। वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान में भी राजकोषीय घाटा इतना ही रहने का लक्ष्य रखा गया था। 31 मई को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने केंद्र सरकार के 2022-23 के राजस्व-व्यय का आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि मूल्य के हिसाब से राजकोषीय घाटा 17,33,131 करोड़ रुपये (अस्थायी) रहा है। सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए बाजार से कर्ज लेती है। सीजीए ने कहा कि राजस्व घाटा जीडीपी का 3.9 प्रतिशत रहा है। वहीं प्रभावी राजस्व घाटा जीडीपी का 2.8 प्रतिशत रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश आम बजट में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है।

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2023-24 के बजट में वित्त मंत्रालय ने 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में 16.61 लाख करोड़ रुपये से के मुकाबले ऊपरी सीमा में संशोधन किया था। 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था के आकार के बजट अनुमान से अधिक होने की उम्मीद के साथ, सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी के प्रारंभिक लक्ष्य से अपरिवर्तित रहा। केंद्र 2022-23 में सरकार का नेट टैक्स रेवेन्यू संशोधित अनुमान से 0.5 फीसदी अधिक था, जबकि गैर-कर राजस्व ने अनुमानों को 9.3 फीसदी से अधिक टैक्स दिया। हालांकि, विनिवेश बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इससे 46,035 करोड़ रुपये की आय हुई, जबकि लक्ष्य 60,000 करोड़ रुपये जुटाने का था।

 

लेखा महानियंत्रक ने कहा कि कुल मिलाकर राजकोषीय घाटा 17.33 लाख करोड़ रुपये रहा है। वित्त वर्ष 2023 के लिए कुल प्राप्तियां 24.56 लाख करोड़ रुपये थीं, जबकि कुल व्यय 41.89 लाख करोड़ रुपये था। वहीं, राजस्व प्राप्तियां 23.84 लाख करोड़ रुपये रही, जिसमें टैक्स रेवेन्यू 20.97 लाख करोड़ रुपये और नॉन टैक्स रेवेन्यू 2.86 लाख करोड़ रुपये रहा है।

 

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FAQs

राजकोषीय घाटा और राजस्व घाटा में क्या अंतर है?

सरकार की कुल कमाई और खर्च के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है और कुल कमाई से अधिक खर्च होने पर वह बाज़ार से कर्ज़ लेती है। वहीं, सरकार की राजस्व प्राप्ति और राजस्व व्यय के बीच के अंतर को राजस्व घाटा कहते हैं।