हर साल 1 नवंबर को कर्नाटक राज्योत्सव या कन्नड़ राज्योत्सव (Kannada Rajyotsava 2023 in hindi) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राज्य के लोग एक साथ अपने राज्य के गठन होने और देश के अभिन्न राज्य के रूप में पहचान पाने का जश्न मनाते हैं। 01 नवंबर 1956 को कर्नाटक राज्य का गठन हुआ था। यह दिन केवल काम से छुट्टी या सार्वजनिक अवकाश का दिन नहीं बल्कि यह अत्यंत गौरव, सांस्कृतिक उत्सव और कर्नाटक की विशिष्ट पहचान पाने का दिन है। कर्नाटक राज्य, भारत की समृद्ध विरासत का प्रमाण लिये खड़ा है।
कन्नड़ राज्योत्सव का ऐतिहासिक महत्व साल 1956, 1 नवंबर को दक्षिणी भारत के कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को मिलाकर कर्नाटक राज्य बनाया गया। इस दिन को कर्नाटक राज्योत्सव (Karnataka Rajyotsava 2023) के रूप में मनाया जाता है। कन्नड़ राज्योत्सव का सीधा और सरल अनुवाद “कर्नाटक का राज्य महोत्सव” है। यह दिन ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि यह दिन राज्य में रह रहे विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के एकीकरण का प्रतीक है।
कर्नाटक राज्योत्सव का एक उल्लेखनीय पहलू यह भी है कि इस दिन राज्य विविधता का जश्न मनाता है। कर्नाटक राज्य देश के विकसित राज्यों में से एक माना जाता है। कर्नाटक राज्योत्सव को केवल कन्नड़ भाषियों द्वारा ही नहीं बल्कि कई अन्य भाषा-भाषियों और अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों द्वारा एक मंच में आकर मनाया जाता है। यह उत्सव कर्नाटक राज्य के तुलु, कोंकणी, कोडवा और बेरी जैसी विभिन्न भाषाएं बोलने वाले लोगों के बीच एकता को दर्शाता है। हालांकि आज प्रदेश में कई अन्य राज्यों के लोग भी सद्भाव से रहते हैं और कर्नाटक राज्य के गठन का उत्सव मूल कर्नाटक वासियों के साथ बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस प्रकार राज्य में विविधता को न केवल स्वीकार किया जाता है बल्कि इसे उत्सवों के रूप में मनाया भी जाता है।
कर्नाटक के अलावा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब, लक्षद्वीप और पुदुचेरी सहित कई अन्य राज्य और क्षेत्र भी 1 नवंबर को अपना स्थापना दिवस मनाते हैं।
कन्नड़ राज्योत्सव के दिन राज्य भर में कई स्कूल और शैक्षणिक संस्थान द्वारा कन्नड़ राज्योत्सव पर निबंध लेखन और भाषण के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कर्नाटक राज्योत्सव को, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, परेड, जुलूसों और अन्य कई कार्यक्रमों की एक श्रृंखला द्वारा चिह्नित किया जाता है जो प्रदेश की कलात्मक समृद्धि को प्रदर्शित करते हैं। यक्षगान, भरतनाट्यम जैसे पारंपरिक नृत्य और विभिन्न क्षेत्रों के लोक नृत्य अपने लाइव प्रदर्शन से सड़कों को रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति करते हैं और राज्य भर के लोगों तक अपने सांस्कृतिक इतिहास का संदेश देते हैं।
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