भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्वीडन के स्टॉकहोम में आयोजित ‘इलेक्ट्रोरल इंटीग्रिटी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ (Stockholm International Conference on Electoral Integrity) में भारत की मतदाता सूची प्रणाली की पारदर्शिता और कठोरता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत 1960 से मान्यता प्राप्त सभी राजनीतिक दलों के साथ हर वर्ष मतदाता सूची साझा करता है, जिसमें दावे, आपत्तियां और अपील की प्रक्रियाएं शामिल हैं—यह प्रणाली दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भरोसे और निष्पक्षता को मजबूत करती है।
समाचार में क्यों?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्टॉकहोम, स्वीडन में आयोजित सम्मेलन में भारत की पारदर्शी और सहभागी मतदाता सूची प्रणाली पर प्रकाश डाला, जो वैश्विक लोकतांत्रिक मानकों में एक मिसाल के रूप में उभर रही है।
ज्ञानेश कुमार के संबोधन की प्रमुख बातें:
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भारत की मतदाता सूची 1960 से सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ वैधानिक रूप से साझा की जाती है।
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प्रक्रिया में शामिल हैं:
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वार्षिक पुनरीक्षण (Annual Revision)
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दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की सुविधा
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अपील का अवसर
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ये उपाय मिलकर भारत की चुनावी प्रक्रिया को विश्व की सबसे पारदर्शी और सहभागी मतदाता सूची प्रणालियों में से एक बनाते हैं।
वैश्विक प्रतिनिधित्व और प्रभाव
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सम्मेलन का आयोजन International Institute for Democracy and Electoral Assistance (IDEA) द्वारा किया गया।
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50 देशों से 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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ज्ञानेश कुमार ने भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता को दोहराया, जिसमें शामिल हैं:
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सर्वोत्तम चुनावी प्रक्रियाओं को साझा करना
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चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ प्रशिक्षण और ज्ञान विनिमय करना
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द्विपक्षीय बैठकें
मुख्य चुनाव आयुक्त ने निम्नलिखित देशों के चुनाव आयोगों के प्रमुखों से मुलाकात की:
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मैक्सिको
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इंडोनेशिया
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मंगोलिया
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दक्षिण अफ्रीका
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स्विट्ज़रलैंड
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मोल्दोवा
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लिथुआनिया
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मॉरीशस
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जर्मनी
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क्रोएशिया
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यूक्रेन
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यूनाइटेड किंगडम
चर्चा के विषय:
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मतदाता सहभागिता को बढ़ाना
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चुनावी प्रौद्योगिकी का उपयोग
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प्रवासी भारतीयों (डायस्पोरा) के लिए मतदान की सुविधा
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लोकतंत्रों में संस्थागत क्षमता निर्माण