धरती के अलावा अंतरिक्ष में अनगिनत ऐसी चीजे हैं, जो सभी रहस्यों से भरी पड़ी हैं। इनके पीछे छिपे राज और तथ्यों का पता लगाने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक दिन-रात लगे रहते हैं। इसी कड़ी में कनाडा स्थित मैकगिल विश्वविद्यालय और बंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की टीम को एक बड़ी सफलता मिली है। पुणे में जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) के डाटा की मदद से एक दूर की आकाशगंगा में परमाणु हाइड्रोजन से निकलने वाले रेडियो सिग्नल का पता लगाया है। इसके बाद से खगोलीय क्षेत्र में हलचल मच गई है।
Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams
खगोवविदों की हर छोटी-बड़ी बात लोगों के बीच चर्चाओं का विषय बन जाती है। नई खोज से भविष्य में अलग-अलग संभावनाओं को भी एक छोर मिलता है। हाल में आकाशगंगा में परमाणु हाइड्रोजन से निकलने वाले रेडियो सिग्नल का पता चला। खगोविदो के अनुसार, यह सिग्नल बहुत अधिक दूरी से मिला है। साथ ही यह 21 सेमी के मजबूत लेंस से उत्सर्जित पहली पुष्टि भी है।
आपको बता दें कि परमाणु हाइड्रोजन एक आकाशगंगा में तारे के निर्माण के लिए बुनियादी ईंधन है। जब आस-पास के माध्यम से गर्म आयनित गैस (ionized gas) आकाशगंगा में गिरती है, तो गैस बेहद ठंडी हो जाती है और इसके बाद यह परमाणु हाइड्रोजन बनाती है। फिर यह मॉलीक्यूलर हाइड्रोजन बन जाती है और इससे सुंदर तारों का निर्माण होता है।
कनाडा स्थित मैकगिल विश्वविद्यालय और बंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के खगोलविदों ने यह खोज गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के माध्यम से की है। इसमें स्रोत द्वारा उत्सर्जित प्रकाश एक अन्य बड़ी चीज की उपस्थिति के कारण मुड़ा हुआ था, जिससे सिग्नल के बारे में पता चला। टीम ने यह भी देखा कि इस विशेष आकाशगंगा का परमाणु हाइड्रोजन मास इसके तारे के मास से लगभग दोगुना था। इन परिणामों से यह साबित हुआ कि अधिक दूरी वाली आकाशगंगा से परमाणु गैस को एक ही समान लैंस से देखा जा सकता है।
महाराष्ट्र सरकार ने 29 अप्रैल 2025 को लंदन में हुई नीलामी में मराठा योद्धा रघुजी…
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत ने राष्ट्रीय…
भारत की मौद्रिक नीति को वास्तविक समय में घरेलू भावनाओं के आधार पर बेहतर ढंग…
जैसे-जैसे कैथोलिक चर्च 2025 के पोप चुनाव (पोपल कॉन्क्लेव) की तैयारी कर रहा है, पूरी…
शिलॉन्ग–सिलचर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर परियोजना एक रणनीतिक अवसंरचना पहल है, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत—विशेष रूप से…
जीनोमइंडिया प्रोजेक्ट (GenomeIndia Project), जो जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा संचालित है, ने भारत में…