गुरुकुल से पढ़े छात्रों को अब IIT में शोध करने का मिलेगा मौका

गुरुकुल से पढ़े विद्यार्थियों को ‘सेतुबंध विद्वान योजना’ के तहत भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों (IIT) में शोध करने का अवसर मिलेगा। ये विद्यार्थी भाषा एवं वाग्विश्लेषण विद्या, इतिहास एवं सभ्यता विद्या, धर्मशास्त्र एवं लौकिकशास्त्र विद्या, गणित-भौत-ज्यौतिष विद्या कृषि एवं पशुपालन विद्या, दण्डनीति विद्या और राजनीति एवं अर्थशास्त्र विद्या समेत कुल 18 विषयों में आईआईटी में शोध कर सकते हैं। साथ में उन्हें आकर्षक छात्रवृत्ति (scholarship) भी मिलेगी। यह योजना भारतीय शिक्षा नीति में एक ऐतिहासिक कदम है, जो पारंपरिक डिग्री के बिना भी विद्वानों को मान्यता प्राप्त योग्यताएँ प्राप्त करने और उदार फ़ेलोशिप और अनुदान के साथ उन्नत शोध करने में सक्षम बनाती है।

सेतुबंध विद्वान योजना के बारे में

प्रारंभकर्ता: शिक्षा मंत्रालय
कार्यन्वयन संस्था: भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) प्रभाग, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (CSU)
उद्देश्य: भारत की गुरुकुल परंपरा को आधुनिक वैज्ञानिक और अकादमिक अनुसंधान से जोड़ना।
महत्त्व: यह योजना औपचारिक डिग्रियों की बाधा को हटाती है और पारंपरिक कठोर अध्ययन को मुख्यधारा की उच्च शिक्षा के समकक्ष मान्यता देती है।

योजना की मुख्य विशेषताएँ

फेलोशिप व अनुसंधान सहयोग
श्रेणी 1 (स्नातकोत्तर समकक्ष):
– ₹40,000 प्रतिमाह फेलोशिप
– ₹1 लाख वार्षिक अनुसंधान अनुदान

श्रेणी 2 (पीएचडी समकक्ष):
– ₹65,000 प्रतिमाह फेलोशिप
– ₹2 लाख वार्षिक अनुसंधान अनुदान

कवर किए गए क्षेत्र (18 अंतर्विषयक क्षेत्र), जैसे:
– आयुर्वेद
– संज्ञानात्मक विज्ञान (Cognitive Science)
– वास्तुकला
– राजनीतिक सिद्धांत
– व्याकरण (वाक्यशास्त्र)
– रणनीतिक अध्ययन
– प्रदर्शन कला
– गणित एवं भौतिकी
– स्वास्थ्य विज्ञान

पात्रता मानदंड

न्यूनतम अध्ययन: किसी मान्यता प्राप्त गुरुकुल में कम से कम 5 वर्षों का कठोर प्रशिक्षण
कौशल: शास्त्रों या पारंपरिक ज्ञान में उत्कृष्टता का प्रमाण
आयु सीमा: आवेदन के समय अधिकतम आयु 32 वर्ष

यह योजना क्यों महत्वपूर्ण है?

सेतुबंध विद्वान योजना शिक्षा नीति में एक क्रांतिकारी कदम है क्योंकि यह:
– पारंपरिक ज्ञान को औपचारिक डिग्रियों के बराबर मान्यता देती है।
– भारत की शास्त्रीय परंपरा से जुड़े विद्वानों के लिए IIT जैसे शोध संस्थानों में प्रवेश के अवसर प्रदान करती है।
– प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय को बढ़ावा देती है।
संस्कृतिक संरक्षण को प्रोत्साहित करते हुए नवाचार को समर्थन देती है।

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vikash

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