कैबिनेट ने नया आयकर विधेयक 2025 पारित किया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए आयकर विधेयक (Income Tax Bill) को मंजूरी दे दी है, जो 1961 के छह दशक पुराने आयकर अधिनियम (Income Tax Act, 1961) की जगह लेगा। इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य भारत की कर प्रणाली को सरल, आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाना है, जिससे करदाताओं के लिए इसे समझना और अनुपालन करना आसान हो जाए।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में घोषणा की कि नया विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा। संसद में प्रस्तुत किए जाने के बाद, इसे वित्त स्थायी समिति (Standing Committee on Finance) के पास आगे की समीक्षा और चर्चा के लिए भेजा जाएगा।

नए आयकर विधेयक की आवश्यकता क्यों पड़ी?

1961 का आयकर अधिनियम कई बार संशोधित किया जा चुका है, जिससे यह जटिल और करदाताओं के लिए कठिन हो गया है। सरकार ने इसकी जटिलताओं को दूर करने के लिए नया कानून लाने का निर्णय लिया है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

  • कानूनी भाषा को सरल बनाना, जिससे करदाताओं के लिए इसे समझना आसान हो।
  • विवादों और मुकदमों को कम करना, ताकि कर व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता और निश्चितता हो।
  • व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए कर नियमों को स्पष्ट करना, जिससे करदाता अनावश्यक भ्रम से बच सकें।
  • पुरानी और अप्रासंगिक धाराओं को हटाना, जिससे कर ढांचा आधुनिक बन सके।

सरकार का मानना है कि एक स्पष्ट और संक्षिप्त कर संरचना से कर अनुपालन (tax compliance) में वृद्धि होगी और कर चोरी (tax evasion) को रोका जा सकेगा

नए आयकर विधेयक की मुख्य विशेषताएं

सरल और प्रभावी कर प्रणाली बनाने के लिए, इस नए प्रत्यक्ष कर विधेयक (Direct Tax Bill) को उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया जा रहा है। इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

कोई अतिरिक्त कर बोझ नहीं

नया विधेयक कर कानूनों को सरल बनाएगा, लेकिन इसमें नए करों को शामिल नहीं किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य कर अनुपालन को आसान बनाना है, न कि कर दरों को बढ़ाना।

सरल भाषा और संरचना

1961 के आयकर अधिनियम में जटिल कानूनी शब्दावली और लंबी व्याख्याएं शामिल थीं, जिससे आम करदाता के लिए इसे समझना मुश्किल था।

नया विधेयक स्पष्ट और संक्षिप्त होगा, जिससे बिना विशेषज्ञ की मदद के भी करदाता इसे आसानी से समझ सकें

कर विवादों में कमी

  • मौजूदा कर प्रणाली में कानूनी मुकदमों और कर विवादों की संख्या अधिक है।
  • स्पष्ट कर प्रावधानों के माध्यम से विवादों को कम करेगा।
  • विवाद समाधान तंत्र (Dispute Resolution Mechanism) लागू करेगा, जिससे कर मामलों का शीघ्र निपटारा हो सके।
  • व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए कर अनुपालन को सरल बनाएगा।

अनुपालन में कमी (Compliance Reduction)

  • सरकार ने करदाताओं की अनुपालन संबंधी समस्याओं को कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है। इस दिशा में उठाए गए कदम:
  • अनावश्यक दस्तावेजी आवश्यकताओं को समाप्त करना।
  • कर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना।
  • व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए कर प्रपत्रों (tax forms) की संख्या को कम करना।

सार्वजनिक परामर्श और हितधारकों के सुझाव

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा के लिए सार्वजनिक सुझाव आमंत्रित किए थे। चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया:

  • कानूनी भाषा को सरल बनाना।
  • कर विवादों में कमी लाना।
  • अनुपालन बोझ को कम करना।
  • अप्रचलित प्रावधानों को हटाना।

सरकार को करदाताओं, व्यवसायों और उद्योग विशेषज्ञों से 6,500 से अधिक सुझाव मिले। इससे सरकार का पारदर्शी और भागीदारी आधारित दृष्टिकोण सामने आया।

नए आयकर विधेयक को लागू करने की प्रक्रिया

कैबिनेट से मंजूरी और संसद में प्रस्तुति

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी है, और इसे अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाएगा।

वित्त स्थायी समिति की समीक्षा

  • विधेयक को संसद में पेश किए जाने के बाद, इसे वित्त स्थायी समिति (Standing Committee on Finance) को भेजा जाएगा।
  • समिति इस विधेयक की विस्तार से समीक्षा करेगी, हितधारकों की प्रतिक्रिया लेगी और आवश्यक संशोधन सुझाएगी।

अंतिम मंजूरी और कार्यान्वयन

  • चर्चा के बाद, विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित कराया जाएगा और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा

नए आयकर विधेयक के प्रभाव

  • बेहतर स्पष्टता और पारदर्शिता – सरल भाषा और स्पष्ट प्रावधानों से करदाताओं को इसे समझने में आसानी होगी।
  • कर विवादों में कमी – स्पष्ट कर कानूनों से मुकदमेबाजी और कर विवाद कम होंगे।
  • आसान अनुपालन – व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए कर फाइलिंग की प्रक्रिया कम जटिल होगी।
  • निवेश को बढ़ावा – स्थिर और पारदर्शी कर प्रणाली से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, जिससे आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
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vikash

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