केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) के बजट में बड़ी वृद्धि को मंज़ूरी दे दी है, जिससे इसका आवंटन ₹1,920 करोड़ बढ़कर कुल ₹6,520 करोड़ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उठाए गए इस कदम का उद्देश्य आधुनिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण और बेहतर खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करके भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को महत्वपूर्ण बढ़ावा देना है।
2017 में शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को मजबूत करने और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने की एक प्रमुख पहल रही है। 2025-26 तक के विस्तारित चरण के लिए इसे पहले ₹4,600 करोड़ आवंटित किए गए थे। अब 2024-25 के बजट में घोषित नई परियोजनाओं के लिए इसमें अतिरिक्त ₹1,920 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
लगभग ₹1,000 करोड़ की लागत से 50 बहुउद्देशीय खाद्य विकिरण (irradiation) इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी।
ये इकाइयाँ प्रति वर्ष 20–30 लाख टन खाद्य संरक्षण क्षमता तैयार करेंगी।
विकिरण से फसल के बाद नुकसान, सूक्ष्मजीवों से होने वाला संक्रमण, जल्दी पकने की समस्या और शेल्फ लाइफ को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
NABL मान्यता प्राप्त 100 खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी, जो Food Safety and Quality Assurance Infrastructure (FSQAI) योजना के तहत आएंगी।
ये लैब्स घरेलू और वैश्विक खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करेंगी।
तेज सैंपल विश्लेषण से मंजूरी में लगने वाला समय घटेगा, जिससे निर्यात को बल मिलेगा और उपभोक्ता का भोजन की गुणवत्ता पर भरोसा बढ़ेगा।
शेष ₹920 करोड़, 15वें वित्त आयोग चक्र (2021-22 से 2025-26) के दौरान PMKSY की अन्य उप-योजनाओं के तहत नई परियोजनाओं को स्वीकृत करने में खर्च किए जाएंगे।
आर्थिक प्रभाव और लाभ
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के तहत की गई नई पहल भारत की खाद्य निर्यात क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार,
भारत से प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात पहले के 5 अरब डॉलर से बढ़कर 11 अरब डॉलर हो गया है।
कृषि निर्यातों में प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की हिस्सेदारी 14% से बढ़कर 24% हो चुकी है, जो इस क्षेत्र के तेजी से विकास को दर्शाता है।
नई इर्रैडिएशन यूनिट्स और फूड टेस्टिंग लैब्स के साथ, भारत वैश्विक खाद्य बाजारों में प्रतिस्पर्धा के लिए और अधिक तैयार होगा।
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