सेमीकंडक्टर निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार ने HCL और फॉक्सकॉन के संयुक्त उद्यम (JV) को उत्तर प्रदेश के जेवर में एक सेमीकंडक्टर असेंबली और पैकेजिंग प्लांट स्थापित करने के लिए ₹3,706 करोड़ की मंजूरी दी है। यह भारत के ₹76,000 करोड़ के सेमीकंडक्टर मिशन के तहत छठा प्रोजेक्ट है और उत्तर प्रदेश में इस तरह का पहला संयंत्र होगा। इसका उत्पादन 2027 में शुरू होने की उम्मीद है और यह लगभग 2,000 नौकरियाँ पैदा करेगा और भारत की 40% चिप मांग को पूरा करने में योगदान देगा।
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत एक नए प्लांट को मंजूरी दी है। यह HCL और Foxconn का संयुक्त उपक्रम है जो चिप असेंबली और पैकेजिंग पर केंद्रित है। संयंत्र उत्तर प्रदेश के जेवर में स्थापित होगा और 2027 से कार्य करना शुरू करेगा।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत असेंबली और परीक्षण यूनिट की स्थापना
घरेलू मांग का 40% तक स्थानीय स्तर पर पूरा करके आयात पर निर्भरता घटाना
इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना
उत्तर प्रदेश में औद्योगिक आधारभूत ढांचे और रोजगार का सृजन
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| कुल निवेश | ₹3,706 करोड़ (सरकारी प्रोत्साहन ₹1,500 करोड़) |
| संयंत्र प्रकार | फोन, लैपटॉप, कार व पीसी के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स की असेंबली और पैकेजिंग |
| क्षमता | प्रति माह 20,000 वेफर; 3.6 करोड़ यूनिट उत्पादन |
| स्थान | जेवर एयरपोर्ट के पास, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक क्षेत्र, उत्तर प्रदेश |
| संभावित रोजगार | 2,000 प्रत्यक्ष नौकरियाँ |
| उत्पादन प्रारंभ | वर्ष 2027 से |
Foxconn का दूसरा प्रयास: इससे पहले Vedanta के साथ JV 2023 में तकनीकी साझेदार की कमी के चलते विफल हो गया था।
यह संयंत्र भारत सेमीकंडक्टर मिशन (2021 में $10 बिलियन के प्रारंभिक बजट के साथ शुरू हुआ) का प्रमुख हिस्सा है।
अब तक भारत में $18 अरब से अधिक का निवेश आकर्षित हुआ है – प्रमुख कंपनियों में Tata-PSMC, Micron, Kaynes, और CG Power-Renesas शामिल हैं।
भारत में पहली मेड-इन-इंडिया चिप्स 2025 के अंत तक आने की उम्मीद है।
भारत की सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूती देता है
मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया लक्ष्यों का समर्थन करता है
स्थानीय रोजगार और उत्तर प्रदेश को विनिर्माण हब बनाने में मदद करता है
भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को बढ़ाता है, खासकर महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों में
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