भारत में पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 2022 में 7.73 प्रतिशत बढ़ सकती है। यह दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ेगी। तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की दैनिक मांग 2021 में 47.7 लाख बैरल थी। इसके 2022 में बढ़कर 51.4 लाख बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान है। चीन में 1.23 प्रतिशत, अमेरिका में 3.39 प्रतिशत और यूरोप में 4.62 प्रतिशत के मुकाबले भारत में तेल की मांग में वृद्धि दुनिया में सबसे तेज गति से होगी।
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बता दें कि अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून के चलते मौजूदा वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में तेल की मांग में गिरावट आएगी, लेकिन त्योहार और छुट्टियों के साथ अगली तिमाही में इसमें तेजी आएगी। आंकड़ों के मुताबिक, भारत को कच्चे तेल के आयात के मामले में जून में रूस सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। जून में भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत थी।
यह एक स्थायी, अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1960 में बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला द्वारा की गई थी। इस संगठन का उद्देश्य अपने सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना तथा उपभोक्ता को पेट्रोलियम की कुशल, आर्थिक व नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये तेल बाज़ारों का स्थिरीकरण सुनिश्चित करना है।
ओपेक की सदस्यता ऐसे किसी भी देश के लिये खुली है जो तेल का एक बड़ा निर्यातक है और संगठन के आदर्शों को साझा करता है। ओपेक के कुल 14 देश (ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, लीबिया, नाइजीरिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, अंगोला, इक्वाडोर और वेनेजुएला) सदस्य हैं।
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