महाराष्ट्र 15 नवंबर 2016 को फ्लाई एश उपयोगिता नीति अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया. यह नीति कचरे से पैसा बनाकर और पर्यावरण संरक्षण द्वारा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी. नीति के अनुसार, ताप विद्युत संयंत्रों और बायोगैस संयंत्रों से पैदा होने वाले शत–प्रतिशत फ्लाई ऐश का उपयोग निर्माण गतिविधियों जैसे ईंट, ब्लॉक, टाइलें, दीवार के पैनल, सीमेंट और अन्य निर्माण संबंधी सामग्रियों को बनाने में किया जाएगा.
फ्लाई एश – फ्लाई एश कोयला दहन उत्पादों में से एक है. यह ईंधन गैसों के साथ बॉयलर से बाहर निकलने वाला बारीक कणों से मिल कर बनता है.
स्रोत – डेली न्यूज एंड एनालिसिस