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Bihar सरकार ने मां जानकी मंदिर के निर्माण, पुनर्विकास के लिए न्यास गठित किया

बिहार सरकार ने सीतामढ़ी जिले में देवी सीता की जन्मस्थली पुनौरा धाम में मां जानकी मंदिर के निर्माण और पुनर्विकास के लिए बृहस्पतिवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय न्यास का गठन किया। राज्य सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (आईपीआरडी) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर पुनौरा धाम में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। यह पहल उस क्षेत्र को एक प्रमुख आध्यात्मिक और पर्यटन स्थल में बदलने के उद्देश्य से की गई है, जिसे पारंपरिक रूप से सीता माता का जन्मस्थान माना जाता है। यह परियोजना अयोध्या में बने श्रीराम मंदिर की तर्ज पर तैयार की जा रही है।

क्यों है यह समाचार में?

26 जून 2025 को बिहार सरकार ने “श्री जानकी जन्मभूमि पुनौरा धाम मंदिर न्यास समिति” (Shree Janaki Janm Bhumi Punaura Dham Mandir Nyas Samiti) के गठन की राजपत्र अधिसूचना जारी की। इससे पहले 22 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंदिर की अंतिम डिज़ाइन का अनावरण किया और इसे राज्य के पर्यटन और अधोसंरचना विकास से जोड़ने की घोषणा की।

मुख्य विशेषताएं

  • ट्रस्ट मंदिर निर्माण और पुनौरा धाम के समग्र विकास की निगरानी करेगा।

  • अयोध्या के श्रीराम मंदिर की तर्ज पर मंदिर को भव्य रूप से विकसित किया जाएगा।

  • धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय रोज़गार सृजन और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर ज़ोर होगा।

न्यास (ट्रस्ट) की संरचना

  • अध्यक्ष: बिहार के मुख्य सचिव

  • उपाध्यक्ष: विकास आयुक्त

  • सचिव: सीतामढ़ी के जिलाधिकारी

  • कोषाध्यक्ष: सीतामढ़ी के डिप्टी डेवलपमेंट कमिश्नर (DDC)

अन्य सदस्य:

  • पुनौरा धाम मठ के महंत

  • पर्यटन, पथ निर्माण, और आवास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी

  • तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त

पृष्ठभूमि और विकास दृष्टि

  • पुनौरा धाम (सीतामढ़ी) को मां सीता के जन्मस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है।

  • मंदिर निर्माण के साथ-साथ सड़कें, धर्मशालाएं, पेयजल, स्वच्छता, और पर्यटन-सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

  • मुख्यमंत्री की “प्रगति यात्रा” के दौरान इस परियोजना को धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का एकीकृत मॉडल बताया गया।

उद्देश्य और महत्व

  • धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और आध्यात्मिक चेतना को सुदृढ़ करना।

  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देना और रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना।

  • सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और मिथकीय परंपराओं से लोगों को जोड़ना।

  • बिहार को धार्मिक पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर उभारना।

 

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