भारत की बाल न्याय के लिए लड़ाई को ऐतिहासिक वैश्विक मान्यता मिली है, जब प्रसिद्ध वकील और बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन रिभु को विश्व विधि संघ (World Jurist Association) द्वारा “मेडल ऑफ ऑनर” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें डोमिनिकन गणराज्य में आयोजित वर्ल्ड लॉ कांग्रेस 2025 के दौरान प्रदान किया गया। भुवन रिभु यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय वकील बन गए हैं।
यह सम्मान उनके दो दशकों के कानूनी संघर्ष, अदालती हस्तक्षेपों और सक्रियता के माध्यम से बाल शोषण को समाप्त करने के कार्य के लिए दिया गया है। उन्होंने बाल संरक्षण को एक कल्याण के विषय से उठाकर आपराधिक न्याय के क्षेत्र में बदलने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
5 मई 2025 को भुवन ऋभु को वर्ल्ड जुरिस्ट एसोसिएशन का “मेडल ऑफ ऑनर” प्रदान किया गया। यह पहली बार है जब किसी भारतीय वकील को यह वैश्विक स्तर का प्रतिष्ठित सम्मान मिला है। यह पुरस्कार बाल श्रम, तस्करी, बाल विवाह और यौन शोषण के विरुद्ध उनके जीवनपर्यंत कानूनी संघर्ष की सराहना करता है और भारत के बाल संरक्षण कानूनों में उनके सुधारात्मक प्रयासों को मान्यता देता है।
भुवन रिभु एक वरिष्ठ वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने 20 वर्षों से अधिक समय तक बच्चों को शोषण से बचाने के लिए कार्य किया।
उन्होंने Just Rights for Children (JRC) की स्थापना की, जो भारत, नेपाल, केन्या और अमेरिका में 250 से अधिक साझेदार संगठनों वाला एक वैश्विक कानूनी नेटवर्क है।
उन्होंने 60 से अधिक जनहित याचिकाएं (PILs) भारतीय न्यायालयों में दाखिल कीं, जो बच्चों के अधिकारों से संबंधित थीं।
सुप्रीम कोर्ट में मानव तस्करी को संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल के अनुसार परिभाषित करवाया।
तस्करी को भारतीय कानून में आपराधिक अपराध के रूप में मान्यता दिलाई।
गुमशुदा बच्चों के मामलों में अनिवार्य प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराने की व्यवस्था लागू करवाई।
खतरनाक उद्योगों में बाल श्रम पर प्रतिबंध लागू करवाया।
लाखों बच्चों और महिलाओं को शोषण से बचाया गया।
नीतियों और कानूनों में दीर्घकालिक सुधार हुए।
बाल न्याय के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रेरित किया।
विश्व जुरिस्ट एसोसिएशन का “मेडल ऑफ ऑनर” दुनिया भर के कानूनी पेशेवरों के लिए सबसे उच्च मान्यता में से एक है।
यह सम्मान एसोसिएशन के अध्यक्ष जेवियर क्रेमेडेस (Javier Cremades) द्वारा प्रदान किया गया।
यह सम्मान भारत की बाल संरक्षण और कानूनी सुधारों में बढ़ती वैश्विक भूमिका को भी दर्शाता है।
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