मध्य प्रदेश के चित्रकूट में भारत रत्न नानाजी देशमुख की 15वीं पुण्यतिथि पर उन्हें भव्य श्रद्धांजलि दी गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस स्मरण समारोह को संबोधित करते हुए नानाजी के ग्रामीण विकास, सामाजिक सुधार और राजनीतिक नेतृत्व में अतुलनीय योगदान को रेखांकित किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण किया गया और भगवान राम के जीवन पर आधारित प्रस्तुति “राम दर्शन” का आयोजन भी हुआ।
नानाजी देशमुख का जीवन और विरासत
महाराष्ट्र में जन्मे नानाजी देशमुख ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा को समर्पित किया। वे बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े थे और बाद में भारतीय जनसंघ के महासचिव के रूप में कार्य किया। भारतीय राजनीति और ग्रामीण विकास में उनके योगदान को व्यापक रूप से सराहा गया।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने नानाजी को ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णित किया, जिनका प्रभाव पीढ़ियों तक बना रहेगा। उन्होंने कहा कि नानाजी की लोकप्रियता राजनीतिक मतभेदों से परे थी, और वे “अंत्योदय” (समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान) के सिद्धांत पर कार्य करते रहे, जिसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने प्रचारित किया था।
ग्रामीण विकास में नानाजी देशमुख का योगदान
नानाजी की सबसे बड़ी विरासत उनके ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में निहित है। उनका मानना था कि सच्ची प्रगति तभी संभव है जब गांव आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनें। इस विचार को साकार करने के लिए उन्होंने कई विकास मॉडल स्थापित किए, विशेष रूप से चित्रकूट में, जहां उन्होंने “एकात्म मानववाद” (Integral Humanism) के सिद्धांतों को लागू किया।
उनके प्रमुख योगदानों में शामिल हैं:
- दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट (DRI) की स्थापना, जो ग्रामीण विकास को समर्पित है।
- किसानों और कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए सतत कृषि पद्धतियों को लागू करना।
- गांवों में शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना।
- ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार नानाजी की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए विभिन्न ग्रामीण कल्याण योजनाओं को लागू कर रही है। पिछले एक दशक में सरकार ने 60 करोड़ गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए आवास, शौचालय, पीने का पानी, रसोई गैस, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की हैं।
राजनीति और सामाजिक सुधार में नानाजी देशमुख की भूमिका
नानाजी देशमुख राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी अपनी नैतिकता के लिए प्रसिद्ध थे। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाने के साथ-साथ 1975-77 के आपातकाल का विरोध करने के लिए जनता पार्टी के गठन में भी योगदान दिया।
विशेष रूप से, उन्होंने 60 वर्ष की आयु में राजनीति से संन्यास लेकर समाज सेवा को अपना पूर्णकालिक मिशन बना लिया। उनका यह निर्णय उनकी निस्वार्थता और समाज सेवा के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सम्मान और पहचान
पद्म विभूषण से सम्मानित।
2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित।
अमित शाह ने कहा कि नानाजी का कार्य उनके द्वारा प्राप्त सम्मान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
शिक्षा और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में नानाजी देशमुख का प्रभाव
नानाजी भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने गोरखपुर में पहले सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना की, जो आज पूरे देश में हजारों विद्यालयों के रूप में विस्तारित हो चुका है।
उनका जीवन RSS के आदर्शों, बाल गंगाधर तिलक के राष्ट्रवाद और महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज (गांवों की आत्मनिर्भरता) के सिद्धांतों से प्रेरित था।
चित्रकूट: आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
चित्रकूट में नानाजी को श्रद्धांजलि देने का निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि यह स्थान आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत पूजनीय है। यह वह पवित्र भूमि है जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का एक महत्वपूर्ण भाग बिताया था।
अमित शाह ने कहा कि चित्रकूट भारतीय विरासत का प्रतीक है और त्याग व सेवा का केंद्र बना रहेगा।