भारत के आर्थिक भविष्य को आकार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने मुंबई में आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित ‘भारत कॉलिंग कॉन्फ्रेंस 2025’ का उद्घाटन किया। ‘विकसित भारत 2047 की राह: सबके लिए समृद्धि का मार्ग’ थीम पर आधारित इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत की वैश्विक आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका को रेखांकित करना और इसे एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। मजबूत अर्थव्यवस्था, विशाल उपभोक्ता बाजार और व्यापार-अनुकूल सरकारी नीतियों के साथ, भारत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए तैयार है।
वैश्विक आर्थिक विकास में भारत की स्थिति
अपने मुख्य भाषण के दौरान, श्री पीयूष गोयल ने निर्माण, कौशल विकास और नवाचार में भारत के अपार अवसरों पर जोर दिया। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत’ जैसी सरकारी पहलों को रेखांकित किया, जिन्होंने देश की आर्थिक नींव को मजबूत किया है। ये प्रयास भारत को आत्मनिर्भरता और वैश्विक व्यापार भागीदारी की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे ‘अमृत काल’ के विजन को साकार किया जा सके।
विकसित भारत 2047 के लिए पांच प्रमुख कारक
गोयल ने भारत को 2047 तक एक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पांच प्रमुख कारकों पर जोर दिया:
- गुणवत्ता प्रबंधन और छोटे व्यवसायों को सहायता
- व्यापार और वाणिज्य में स्थिरता
- समावेशी विकास
- कौशल विकास
- प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता
ये पहलें आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समानता और तकनीकी प्रगति को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
गुणवत्ता क्रांति: भारतीय उद्योगों के लिए एक गेम-चेंजर
गोयल ने गुणवत्ता क्रांति की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि गुणवत्ता की अनदेखी के कारण कई उद्योगों को नुकसान हुआ है। सरकार ने 700 से अधिक गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू किए हैं, जिससे उच्च गुणवत्ता मानकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने उद्योग मंडलों से अपील की कि वे गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाएं। इसके अलावा, बड़े व्यवसायों को छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को बेहतर निर्माण प्रक्रियाओं और गुणवत्ता नियंत्रण उपायों को अपनाने में मार्गदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
स्थिरता: भविष्य के विकास का अभिन्न अंग
भारत में स्थिरता हमेशा से सामाजिक संरचना का हिस्सा रही है, लेकिन इसे आधुनिक व्यापार और वाणिज्य में एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। श्री गोयल ने कहा कि ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन प्रक्रियाओं को अपनाना आवश्यक है। सरकार की हरित (ग्रीन) पहलें इस दिशा में उद्योगों को सतत विकास को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
समावेशी विकास: आर्थिक समानता की ओर कदम
गोयल ने समावेशी विकास को भारत की समग्र प्रगति के लिए अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और सामुदायिक उत्थान के माध्यम से सरकार नागरिकों के जीवन को आसान बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने उद्योगों से अपील की कि वे कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) पहलों के तहत सामाजिक कल्याण में योगदान दें, जिससे आर्थिक असमानताओं को दूर किया जा सके और एक मजबूत कार्यबल विकसित किया जा सके।
कौशल विकास: भारत की कार्यबल को सशक्त बनाना
रोजगार सृजन और आर्थिक विस्तार के लिए कौशल विकास को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए, श्री गोयल ने उत्तर मुंबई में दो नए अत्याधुनिक कौशल विकास केंद्रों की घोषणा की। ये केंद्र उभरते उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान करेंगे, जिससे भारत की युवा पीढ़ी को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता: समय की मांग
गोयल ने कहा कि भारतीय उद्योगों को सरकारी प्रोत्साहनों पर निर्भर रहने के बजाय अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और नवाचार, दक्षता और अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजार में आत्मविश्वास और प्रतिस्पर्धात्मकता के साथ प्रवेश करने के लिए अपने निर्माण और व्यापार प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाना होगा।
‘भारत कॉलिंग कॉन्फ्रेंस 2025’ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, जहां उद्योग जगत, नीति निर्माताओं और निवेशकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
पहलू | विवरण |
क्यों चर्चा में? | केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने मुंबई में आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित ‘भारत कॉलिंग कॉन्फ्रेंस 2025’ का उद्घाटन किया। |
थीम | ‘विकसित भारत 2047 की राह: सबके लिए समृद्धि का मार्ग’ |
उद्देश्य | वैश्विक आर्थिक विकास में भारत की प्रमुख भूमिका को उजागर करना और 2047 तक देश को शीर्ष निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना। |
विकसित भारत 2047 के प्रमुख कारक | – गुणवत्ता प्रबंधन और छोटे व्यवसायों को सहायता – व्यापार और वाणिज्य में स्थिरता – समावेशी विकास – कौशल विकास – प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता |
गुणवत्ता क्रांति | – सरकार द्वारा 700 से अधिक गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू – लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) को उच्च गुणवत्ता मानकों को अपनाने के लिए मार्गदर्शन |
स्थिरता | – ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रियाओं पर जोर – उद्योगों में हरित (ग्रीन) पहलों को बढ़ावा |
समावेशी विकास | – बुनियादी ढांचे के विकास और सामुदायिक उत्थान पर ध्यान केंद्रित – उद्योगों को कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया |
कौशल विकास | – उत्तर मुंबई में दो नए अत्याधुनिक कौशल विकास केंद्र स्थापित होंगे – उभरते उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष प्रशिक्षण |
प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता | – नवाचार, निर्माण दक्षता और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में सुधार पर बल – सरकार पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने की अपील |
विजन 2047 | आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समानता और तकनीकी प्रगति के साथ भारत को एक विकसित राष्ट्र (विकसित भारत) बनाना। |