भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने रक्षा मंत्रालय (MoD) के साथ ₹2,906 करोड़ का समझौता किया है, जिसके तहत निम्न-स्तरीय परिवहनीय रडार (LLTR) अश्विनी की आपूर्ति की जाएगी। यह अत्याधुनिक रडार रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रडार विकास प्रतिष्ठान (LRDE) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। यह सौदा आत्मनिर्भर भारत पहल को मजबूती प्रदान करेगा और देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाएगा।
अश्विनी LLTR रडार की विशेषताएँ
- सक्रिय इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड फेज़ड एरे रडार, जिसे DRDO और BEL द्वारा विकसित किया गया है।
- सॉलिड-स्टेट तकनीक पर आधारित यह रडार हवाई लक्ष्यों जैसे ड्रोन, हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमानों को ट्रैक कर सकता है।
- इंटीग्रेटेड आइडेंटिफिकेशन फ्रेंड या फो सिस्टम (IFF) से लैस, जो 4D निगरानी (दूरी, अज़ीमथ, ऊँचाई और वेग) प्रदान करता है।
- इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेशर्स (ECCM) तकनीक के साथ, जो शत्रु के जामिंग प्रयासों को निष्प्रभावी करता है।
- परिवहनीय डिजाइन, जो इसे विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में संचालन योग्य बनाता है।
- पूरी तरह स्वदेशी निर्माण, जिससे भारत की आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
BEL-MoD समझौते के प्रमुख बिंदु
- ₹2,906 करोड़ का अनुबंध 14 मार्च 2025 को हस्ताक्षरित किया गया।
- यह सौदा रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में हुआ।
- BEL ने एक सप्ताह के भीतर यह दूसरा बड़ा रक्षा अनुबंध प्राप्त किया। इससे पहले ₹577 करोड़ का समझौता किया गया था, जिसमें शामिल हैं:
- एयरबोर्न इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम
- अंडरवाटर कम्युनिकेशन सिस्टम
- डॉपलर वेदर रडार
- ट्रेन कम्युनिकेशन सिस्टम
- रडार अपग्रेड और संबंधित सेवाएँ
रणनीतिक महत्व
- भारत की हवाई निगरानी और वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा।
- भारतीय वायु सेना (IAF) को हवाई खतरों का शीघ्रता से पता लगाने और ट्रैकिंग करने की क्षमता बढ़ाएगा।
- आयातित रडार प्रणालियों पर निर्भरता को कम करेगा।
- आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देगा।
यह सौदा रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने और वायु सुरक्षा को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।