भारतीय बैंकिंग प्रणाली की तरलता स्थिति में तेज गिरावट दर्ज की गई है। 23 सितंबर को तरलता घाटा ₹87,183 करोड़ तक पहुँच गया, जबकि 22 सितंबर को यह केवल ₹31,987 करोड़ था। मार्च 2025 के अंत से अब तक बैंकिंग प्रणाली अधिशेष में थी, लेकिन हाल के अग्रिम कर (Advance Tax) और वस्तु एवं सेवा कर (GST) भुगतान ने भारी धनराशि बाहर खींच ली, जिससे अल्पकालिक निधियों की उपलब्धता प्रभावित हुई।
24 सितंबर को RBI ने ओवरनाइट वेरिएबल रेट रेपो (VRR) नीलामी आयोजित की, जिसके तहत ₹1.50 लाख करोड़ की पेशकश की गई।
बैंकों ने ₹48,980 करोड़ की बोली लगाई, जिसे औसत दर 5.51% पर पूरी तरह स्वीकार कर लिया गया।
25 सितंबर को एक और VRR नीलामी निर्धारित है, जिसमें ₹1.25 लाख करोड़ की तरलता प्रणाली में डाली जाएगी।
अग्रिम कर भुगतान: कंपनियों ने तिमाही कर जमा किए, जिससे बैंकों में जमा घटे।
GST भुगतान: व्यवसायों ने टैक्स सरकार को दिए, जिससे तरलता और कम हुई।
मौसमी नकदी मांग: त्योहारों और सरकारी व्यय चक्र के कारण नकदी की खपत बढ़ी।
अल्पकालिक उधारी लागत बढ़ सकती है।
बैंक ऋण वितरण घटा सकते हैं या जमा आकर्षित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं।
RBI को स्थिरता बनाए रखने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) और VRR नीलामियाँ जारी रखनी पड़ सकती हैं।
यह संकट अस्थायी माना जा रहा है क्योंकि यह मुख्यतः कर भुगतान कैलेंडर से जुड़ा है।
तरलता घाटा (23 सितंबर): ₹87,183 करोड़
मुख्य कारण: अग्रिम कर और GST भुगतान
RBI की कार्रवाई: ₹1.50 लाख करोड़ VRR नीलामी (24 सितंबर)
स्वीकृत बोली: ₹48,980 करोड़ (5.51% दर पर)
अगली नीलामी: ₹1.25 लाख करोड़ (25 सितंबर को)
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