सामाजिक समावेशन और जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक नीतिगत कदम उठाते हुए, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 23 जून, 2025 को घोषणा की कि असम में ट्रांसजेंडर समुदाय को अब ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) का दर्जा दिया जाएगा। समानांतर कदम उठाते हुए, उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी) के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए पर्यवेक्षक स्तर के पदों पर 50% आरक्षण की भी घोषणा की, जिससे सरकारी ढांचे के भीतर उनके करियर की प्रगति को बढ़ावा मिला।
चर्चा में क्यों?
ये घोषणाएँ लैंगिक अल्पसंख्यकों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के प्रति असम की नीति में ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाती हैं। ओबीसी दर्जे का प्रावधान ट्रांस व्यक्तियों के लिए शिक्षा, रोजगार और सरकारी कल्याण योजनाओं में दरवाजे खोलेगा, जबकि आईसीडीएस योजना के तहत पर्यवेक्षक पदों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए आरक्षण उनके दीर्घकालिक योगदान को मान्यता देता है और संस्थागत बनाता है।
प्रमुख घोषणाएं
ट्रांसजेंडर समुदाय को OBC का दर्जा
-
अब ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शिक्षा और रोजगार में आरक्षण का लाभ मिलेगा।
-
उन्हें OBC वर्ग की कल्याणकारी योजनाओं में भी शामिल किया जाएगा।
-
यह असम में ट्रांसजेंडर अधिकारों को मिली पहली बड़ी राज्य-स्तरीय मान्यता है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 50% आरक्षण (पर्यवेक्षक पदों पर)
-
यह आरक्षण एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (ICDS) के तहत की जाने वाली भर्तियों में लागू होगा।
-
पोषण, प्रारंभिक बाल देखभाल और सामुदायिक सेवा में उनके योगदान को औपचारिक रूप से मान्यता दी गई है।
-
इससे जमीनी स्तर पर कार्य कर रही महिलाओं को नेतृत्व और निर्णयात्मक पदों पर पहुँचने का अवसर मिलेगा।
पृष्ठभूमि
-
ट्रांसजेंडर समुदाय को लंबे समय से भेदभाव, सामाजिक बहिष्कार और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रहने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
-
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता — जो अधिकांशतः महिलाएं हैं — ग्रामीण क्षेत्रों में बाल स्वास्थ्य व पोषण के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं, लेकिन उन्हें करियर में आगे बढ़ने के मौके सीमित मिले।
आधिकारिक बयान
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा:
“हमने ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को OBC का दर्जा देने का निर्णय लिया है ताकि वे विभिन्न क्षेत्रों में लाभ उठा सकें।”
उन्होंने यह भी कहा:
“यह आरक्षण आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के अमूल्य योगदान को मान्यता देता है।”
क्रियान्वयन
-
ये बदलाव अगली भर्ती प्रक्रिया से लागू होंगे।
-
यह महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक पदों की भर्तियों पर लागू होगा।
-
कार्यक्रम में नव-नियुक्त कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र भी सौंपे गए।
यह नीति निर्णय सामाजिक समावेशन, लिंग समानता और जमीनी स्तर पर काम करने वाली महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।