विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की ताज़ा रिपोर्ट “State of the Climate in Asia 2024”, जो जून 2025 में जारी की गई, ने एशिया में जलवायु परिवर्तन की गंभीर स्थिति को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, एशिया वैश्विक औसत की तुलना में लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है, जिससे क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी, हिमनद पिघलना, बाढ़, चक्रवात और सूखा जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। वर्ष 2024 को एशिया का अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया है।
क्यों है यह खबर में?
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WMO की रिपोर्ट ने एशिया में रिकॉर्ड-तोड़ तापमान, समुद्र स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, और विनाशकारी तूफानों व बाढ़ जैसी चरम घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
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यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं और जनता के लिए एक चेतावनी संकेत (wake-up call) है कि जलवायु परिवर्तन के प्रति तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
प्रमुख निष्कर्ष
तापमान और हीटवेव
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2015 से 2024 तक के हर वर्ष, एशिया के इतिहास में 10 सबसे गर्म वर्षों में शामिल रहे।
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जापान में 2024 की गर्मी ने अब तक के उच्चतम औसत तापमान की बराबरी की।
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भारत में 2024 की गर्मी से 450 से अधिक मौतें दर्ज की गईं।
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थाईलैंड, म्यांमार, सऊदी अरब और रूस के कुछ हिस्सों में तापमान ने नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े।
समुद्र स्तर में वृद्धि और ग्लेशियर हानि
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एशिया में समुद्र स्तर में वृद्धि वैश्विक औसत से भी तेज़, जिससे तटीय क्षेत्रों पर खतरा।
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हिमालय और तियान शान पर्वत श्रृंखलाओं में 24 में से 23 ग्लेशियरों ने अपना द्रव्यमान खोया।
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नेपाल के कोशी क्षेत्र में ग्लेशियर झील फटने (GLOF) की घटनाएं, 130+ लोग विस्थापित।
घातक मौसम घटनाएं – 2024 में
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UAE: 1949 के बाद सबसे अधिक 24 घंटे की वर्षा — 259.5 मिमी।
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नेपाल बाढ़ (सितंबर 2024): 246 मौतें, आर्थिक क्षति NPR 12.85 अरब।
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भारत (केरल): वायनाड जिले में भारी वर्षा से 350 से अधिक मौतें।
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चीन: सूखे से 48 लाख लोग प्रभावित, फसलें नष्ट, आर्थिक नुकसान।
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भारत में आकाशीय बिजली गिरने से 1,300+ मौतें, 10 जुलाई को अकेले 72 मौतें।
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श्रीलंका बाढ़ (दिसंबर 2024): 4.5 लाख लोग प्रभावित, 5,000+ लोग विस्थापित।
चक्रवात
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2024 में 4 बड़े चक्रवात बने:
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रिमाल (बंगाल की खाड़ी): 111 किमी/घंटा की रफ्तार, बांग्लादेश और भारत में 2.5 मीटर तक बाढ़।
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असना (अरब सागर): 1891 के बाद केवल तीसरा चक्रवात इस क्षेत्र में।
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डाना और फेंगल: फेंगल श्रीलंका को पार कर भारत में टकराया, मौतें और विस्थापन।
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महत्वपूर्ण संदेश
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यह रिपोर्ट बताती है कि एशिया, विशेषकर भारत और उसके पड़ोसी देश, जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं।
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नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों और नागरिकों को मिलकर जलवायु संकट से निपटने के लिए ठोस योजना बनानी होगी।