पूर्वोत्तर भारत में स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, सेंटर फॉर अर्थ साइंसेज एंड हिमालयन स्टडीज़ (CESHS) ने अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के दिरांग में पहला जियोथर्मल उत्पादन कुआं सफलतापूर्वक ड्रिल किया है। यह उपलब्धि ऊँचाई वाले क्षेत्रों में भू-तापीय ऊर्जा की संभावनाओं के दोहन में एक बड़ी सफलता है और क्षेत्र में पर्यावरण-अनुकूल हीटिंग एवं कृषि प्रसंस्करण तकनीकों को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त करती है।
दिरांग में किया गया यह जियोथर्मल ड्रिलिंग पूर्वोत्तर भारत में अपनी तरह का पहला है। यह दूरदराज और पर्वतीय इलाकों में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनाता है। दो वर्षों की वैज्ञानिक खोजबीन के बाद यह कुआं तैयार हुआ है और निकट भविष्य में दिरांग भारत का पहला जियोथर्मल संचालित शहर बन सकता है।
स्थान: दिरांग, पश्चिम कामेंग जिला, अरुणाचल प्रदेश
परियोजना नेतृत्व: सेंटर फॉर अर्थ साइंसेज एंड हिमालयन स्टडीज़ (CESHS)
सहयोग: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और अरुणाचल प्रदेश सरकार
नार्वेजियन जियोटेक्निकल इंस्टीट्यूट (NGI), ओस्लो
जियोट्रॉपी ईएचएफ, आइसलैंड
गुवाहाटी बोरिंग सर्विस (GBS)
दो वर्षों तक पश्चिमी अरुणाचल में भू-रासायनिक और संरचनात्मक सर्वेक्षण किए गए।
दिरांग को 115°C तापमान वाले मध्यम-से-उच्च क्षमता वाले जियोथर्मल ज़ोन के रूप में पहचाना गया।
मुख्य केंद्रीय थ्रस्ट (MCT) के पास शिस्ट की परतों पर क्वार्टजाइट की उपस्थिति — भू-तापीय क्रिया के लिए अनुकूल।
पर्यावरण-अनुकूल फल, मेवा और मांस सुखाना
ऊँचाई वाले घरों और संस्थानों के लिए हीटिंग
कृषि उत्पादों के लिए नियंत्रित वातावरण वाली भंडारण प्रणाली
भविष्य में जियोथर्मल ऊर्जा से संचालित नगर-आधारभूत संरचना
पूर्वोत्तर भारत में पहला जियोथर्मल उत्पादन कुआं
हिमालय क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की पहल
ठंडे क्षेत्रों में टिकाऊ हीटिंग समाधान
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
दूरदराज़ क्षेत्रों में जियोथर्मल ऊर्जा के उपयोग का राष्ट्रीय उदाहरण स्थापित करता है
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