अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सेना में झड़प के दौरान दोनों पक्षों के कई सैनिकों के घायल होने की खबर है। घटना 9 दिसंबर की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस भिड़ंत में भारतीय सेना के कम से कम 20 जवान घायल हुए हैं। वहीं चीनी सेना का भी भारी नुकसान हुआ है। अभी तक किसी मौत की सूचना नहीं है। घायलों का इलाज गुवाहाटी के सैनिक अस्पताल में हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक घटना के समय दूसरी तरफ लगभग 600 चीनी सैनिक मौजूद थे।
Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams
हालांकि सेना ने इस घटना की पुष्टि की है लेकिन किसी तरह का ब्योरा साझा नहीं कर रहे। सेना के अनुसार इस एलओसी पर भी सीमा रेखा को लेकर विवाद है और गश्त के दौरान अक्सर तनातनी हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक तवांग में एलएसी के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां दोनों ही पक्ष अपना दावा करते हैं और यहां दोनों देशों के सैनिक गश्त करते हैं। यह ट्रेंड साल 2006 से चल रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, तवांग में आमने-सामने के क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया। घायल चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में कहीं अधिक है। सामने आया है कि इस झड़प में 20 भारतीय जवान घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी लाया गया है। चीनी लगभग 300 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन उन्हें भारतीय पक्ष से मुस्तैदी की उम्मीद नहीं थी।
दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से लगे कुछ क्षेत्रों पर भारत और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। ऐसे में 2006 से इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं।
15 जून, 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवां में हुई भिड़ंत के बाद यह पहली घटना है जब दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई है। अक्तूबर, 2021 में इसी जगह पर दोनोंं सेनाएं आमने सामने आई थीं। तब भारतीय सेना ने चीन के कई सैनिकों को घंटों बंधक बना कर रखा था। बातचीत के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
15 जून 2020 को सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
चीन के साथ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत का सीमा विवाद है। अरुणाचल प्रदेश को तो चीन अपना हिस्सा बताता है। उसका कहना है कि यह तिब्बत का अंग है। 1962 में यहां हमला कर उसने अरुणाचल के एक हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। पिछले साल उसने अरुणाचल की सीमा से लगे 15 स्थानों के नाम बदल दिए थे।
भारत और चीन के बीच लगभग 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा है। 1962 की जंग के बाद से ही इसमें से ज्यादातर हिस्सों पर विवाद है। अभी तक हुई बैठकों में दोनों देशों ने स्थिति पर नियंत्रण, शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए समाधान तलाशने की बात पर सहमति जताई है। विवादित क्षेत्रों में यथास्थिति कायम रखने और सेना के डिसइंगेजमेंट को लेकर भी समझौता किया है।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
13 नवंबर को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा सिर्फ़ अपराध के आरोपों के…
टोक्यो के शिबुया वार्ड में स्थित स्केयरक्रो इनकॉर्पोरेटेड ने अपने पशु सप्लीमेंट, पिनफेनॉन (एस) (आर)…
18वां प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन 8 जनवरी से 10 जनवरी, 2025 तक ओडिशा के…
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पुष्टि की है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एचडीएफसी बैंक,…
‘प्रोफेशनल गोल्फ टूर ऑफ इंडिया (पीजीटीआई)’ ने अमनदीप जोहल को अपना नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी…
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 नवंबर को सिलवासा के ज़ांडा चौक पर स्वामी विवेकानंद विद्या…