सेना ने अरुणाचल में युद्ध कौशल 3.0 बहु-क्षेत्रीय अभ्यास का आयोजन किया

भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के कामेंग क्षेत्र में, जो पूर्वी हिमालय का ऊँचाई वाला और चरम जलवायु वाला इलाका है, बड़े पैमाने पर अभ्यास ‘युद्ध कौशल 3.0’ का आयोजन किया। इस सैन्य अभ्यास ने बहु-क्षेत्रीय (multi-domain) युद्ध तत्परता, उभरती तकनीकों के एकीकरण और स्वदेशी रक्षा उद्योगों के सहयोग को प्रदर्शित किया। यह पहल आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि के अनुरूप सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में भारत के प्रयासों को रेखांकित करती है।

‘युद्ध कौशल 3.0’ की मुख्य झलकियाँ

इस अभ्यास को गजराज कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) ले. जनरल गम्भीर सिंह ने देखा। फोकस रहा – संचालन में नवाचार और अनुकूलन क्षमता पर।

मुख्य विशेषताएँ:

  • ड्रोन निगरानी और वास्तविक समय (real-time) में लक्ष्य की पहचान

  • उन्नत हथियार प्रणालियों से सटीक प्रहार

  • वायु-लिटोरल प्रभुत्व और समन्वित युद्धक्षेत्र गतिशीलता

  • ASHNI प्लाटून का परिचालन पदार्पण, जिसमें नई पीढ़ी की तकनीक और पारंपरिक रणनीतियों का समावेश

  • भारतीय नागरिक रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी, जो रक्षा क्षेत्र में “परिवर्तन का दशक” (Decade of Transformation) का प्रतीक है

रक्षा प्रवक्ता ले. कर्नल महेन्द्र रावत के अनुसार, इस अभ्यास ने यह साबित किया कि सेना बहु-क्षेत्रीय वातावरण में दीर्घकालिक संचालन करने और भविष्य की युद्ध चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।

तकनीक और आत्मनिर्भर भारत

‘युद्ध कौशल 3.0’ की विशेष पहचान स्वदेशी नवाचारों का एकीकरण रहा। अभ्यास में दिखाया गया कि किस प्रकार घरेलू रक्षा तकनीक को तेजी से युद्धक्षेत्र अनुप्रयोगों में बदला जा रहा है, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य मजबूत हुआ है।

सेना ने प्रदर्शित किया:

  • निगरानी और आक्रामक भूमिका में मानवरहित प्रणालियाँ (Unmanned Systems)

  • ऊँचाई वाले युद्धक्षेत्र के अनुकूल सटीक हथियार प्रणाली

  • निर्णय-निर्माण हेतु एआई (AI) आधारित युद्ध अवधारणाएँ

यह नागरिक उद्योग और सशस्त्र बलों का तालमेल, प्रौद्योगिकी-आधारित युद्ध तत्परता की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।

अचूक प्रहार: ITBP के साथ संयुक्त अभ्यास

समानांतर रूप से, 25 से 28 अगस्त 2025 तक, सेना की स्पीयर कोर की पैदल सेना इकाइयों ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ अरुणाचल प्रदेश में अभ्यास ‘अचूक प्रहार’ किया।

  • चार दिवसीय अभ्यास में सिम्युलेटेड युद्धक्षेत्र परिस्थितियों में संयुक्त फायरपावर समन्वय किया गया।

  • संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में खतरों से निपटने के लिए अंतः-एजेंसी सहयोग की पुष्टि की गई।

यह संयुक्त अभ्यास सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच तालमेल को मजबूत करता है, जो सीमा सुरक्षा और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

मिज़ोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का 73 वर्ष की उम्र में निधन

मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73…

2 hours ago

Aadhaar प्रमाणीकरण लेनदेन नवंबर में 8.5 प्रतिशत बढ़कर 231 करोड़ हुए

भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार…

2 hours ago

जयंद्रन वेणुगोपाल रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड का चेयरमैन और सीईओ नियुक्त

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने 3 दिसंबर 2025 को घोषणा की कि फ्लिपकार्ट के वरिष्ठ…

2 hours ago

मेघालय 2025 में शिलांग में क्षेत्रीय AI इम्पैक्ट कॉन्फ्रेंस की मेज़बानी करेगा

पूर्वोत्तर भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण…

3 hours ago

भारत की हेरिटेज फ़ुटफ़ॉल रैंकिंग 2024–25: ताजमहल एक बार फिर विज़िटर चार्ट में सबसे ऊपर

भारत की समृद्ध धरोहर, स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विविधता हर वर्ष लाखों यात्रियों को आकर्षित…

17 hours ago