नई शोध से पुष्टि हुई है कि अंटार्कटिका की ग्रीष्मकालीन समुद्री बर्फ रिकॉर्ड स्तर पर पिघल रही है। पिछले कुछ वर्षों में देखे गए इस बदलाव ने महासागर को गर्म कर दिया है, पारिस्थितिक तंत्रों को नुकसान पहुँचा रहा है और दीर्घकालिक जलवायु प्रभावों का खतरा बढ़ा रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ये परिवर्तन पृथ्वी और मानव जाति – दोनों के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं।
क्या पाया गया अध्ययन में
टस्मानिया विश्वविद्यालय के एडवर्ड डॉड्रिज सहित वैज्ञानिकों की एक बड़ी टीम ने सैटेलाइट, समुद्री रोबोट और कंप्यूटर मॉडलों की मदद से समुद्री बर्फ के नुकसान का अध्ययन किया। वर्षों के आंकड़ों और अंटार्कटिक अभियानों पर आधारित उनके निष्कर्ष बताते हैं कि ग्रीष्मकालीन समुद्री बर्फ की हानि पहले की अपेक्षा कहीं अधिक गंभीर है। वैज्ञानिकों ने यह भी जांचा कि यह हानि जलवायु, समुद्री तापमान, समुद्री जीवन और अंटार्कटिका तक आपूर्ति मिशनों को कैसे प्रभावित कर रही है।
महासागर का बढ़ता तापमान
समुद्री बर्फ सूरज की रोशनी को परावर्तित करती है, लेकिन जब बर्फ पिघलती है तो नीचे का गहरा समुद्र उजागर हो जाता है, जो ज्यादा गर्मी सोखता है। इससे हर साल महासागर और गर्म हो जाता है। 2016 से पहले सर्दियों में महासागर फिर से ठंडा हो जाता था, लेकिन अब वह ठंडक कम हो रही है। इस वजह से गर्मी पानी में बनी रहती है और गर्म होने का चक्र चलता रहता है। मॉडल्स के अनुसार, अब समुद्र को “कम बर्फ” वाले वर्षों से उबरने में तीन साल लगते हैं — लेकिन बढ़ते तापमान के कारण यह उबरना अब दुर्लभ होता जा रहा है।
प्रकृति और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव
यह पिघलना केवल तापमान तक सीमित नहीं है। समुद्री बर्फ समुद्री खाद्य श्रृंखला के मूल में मौजूद सूक्ष्म पौधों को सहारा देती है, जो मछलियों, पक्षियों और सील जैसे जीवों का आधार हैं। जब बर्फ गायब हो जाती है, तो इन पौधों को बढ़ने में कठिनाई होती है, जिससे पूरी खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। इसके अलावा, बर्फ का नुकसान अंटार्कटिक तट को अधिक शक्तिशाली समुद्री लहरों के संपर्क में ला रहा है, जिससे बड़े हिमखंड टूट रहे हैं और तटीय संरचनाएं बदल रही हैं।
आपूर्ति मिशन और वैश्विक चिंता
अंटार्कटिका तक आपूर्ति करने वाले मिशनों ने बताया कि अब जहाजों को पहले से कहीं ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ इलाके, जो पहले बर्फ से ढके रहते थे, अब खुले हैं — लेकिन इससे समुद्र की लहरें और परिस्थितियाँ ज्यादा खतरनाक हो गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अंटार्कटिका में तेजी से हो रहे बदलाव का एक और संकेत है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनके निष्कर्ष विश्व नेताओं को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करेंगे।
यूनाइटेड नेशंस (UN) एक बड़े इंस्टीट्यूशनल सिस्टम के ज़रिए काम करता है जिसे UN सिस्टम…
मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73…
भारत विश्व की कुल जैव विविधता का लगभग 8% हिस्सा अपने भीतर समेटे हुए है।…
भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार…
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने 3 दिसंबर 2025 को घोषणा की कि फ्लिपकार्ट के वरिष्ठ…
पूर्वोत्तर भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण…