अफगानिस्तान की मुद्रा इस तिमाही दुनिया में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन चुकी है। अरबों डॉलर की मानवीय सहायता और एशियाई पड़ोसी देशी संग बढ़ने व्यापार की वजह से अफगानिस्तान की मुद्रा ‘अफगान अफगानी’ में तेजी देखी जा रही है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, इस तिमाही अवधि के दौरान अफगानी मुद्रा के मूल्य में उल्लेखनीय 9 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। दो साल पहले सत्ता पर दोबारा कब्जा करने के बाद से, तालिबान ने अपनी मुद्रा पर मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए कई उपाय लागू किए हैं।
इन उपायों में स्थानीय लेनदेन में डॉलर और पाकिस्तानी रुपये के इस्तेमाल पर रोक लगाना और देश से बाहर अमेरिकी डॉलर की आवाजाही पर सख्त प्रतिबंध लगाना शामिल है। इसके साथ ही अफगानिस्तान में स्थिरता को भी रुपये की मजबूती की वजह माना जा रहा है। तालिबान सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। इससे निवेशकों को अफगानिस्तान में पैसा लगाने में अधिक दिलचस्पी बढ़ी है। इससे अफगानिस्तान की मुद्रा मजबूत हो रही है।
ब्लूमबर्ग ने कहा, कि तालिबान ने अफगानिस्तान में ऑनलाइन ट्रेडिंग को भी अपराध घोषित कर दिया है। यदि कोई अफगानिस्तान में नियमों का उल्लंघन करते पाया जाता है तो उसे सख्त सजा दी जाती है।
ब्लूमबर्ग शो के डेटा के अनुसार, इस साल अफगानिस्तान की मुद्रा में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो इसे कोलंबिया और श्रीलंका की करेंसी के बाद ग्लोबल लिस्ट में तीसरे स्थान पर रखती है। अफगानिस्तान की मुद्रा का नाम अफगानी है। अफगानिस्तान की करेंसी को छापने और वितरण व नियंत्रण का काम केंद्रीय बैंक द अफगानिस्तान बैंक करता है। इसकी स्थापना 1939 में हुई थी। काबुल में इस बैंक का मुख्यालय है। पूरे देश में इस बैंक की 46 शाखाएं हैं।
अफगानिस्तान में एक अफगानी से लेकर 1,000 अफगानी तक की मुद्रा चलती है। ये मुद्रा अफगानी नोट और सिक्के दोनों ही रूपों में उपलब्ध है। हर पांच साल में द अफगानिस्तान बैंक नए नोट छपवाता है, लेकिन ये नोट अफगानिस्तान में नहीं बल्कि बाहर छपते हैं। इंग्लैंड के बेसिंगस्टोक में दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट करेंसी प्रिंटिंग प्रेस में अफगानिस्तान की मुद्रा छपती है। यहां दुनियाभर के 140 देशों की करेंसी छपती है। अफगानिस्तान की करेंसी फिलहाल यहीं छप रही है। 80 के दशक में अफगानिस्तान की करेंसी रूस की एक कंपनी छापती थी लेकिन जब अफगानिस्तान में 2002 में हामिद करजई की अगुआई में नई लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ तो इसका जिम्मा ब्रिटेन की कंपनी को दे दिया गया।
अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री: हसन अखुंद
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