भारत के अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड ने हाल ही में कहा कि उसने स्वीकृत म्यांमार में $30 मिलियन में अपने बंदरगाह की बिक्री पूरी कर ली है, जो परियोजना में अपने निवेश से काफी कम है। अडानी समूह की कंपनी ने म्यांमार में एक सैन्य तख्तापलट के बाद मई 2022 में बिक्री की घोषणा की थी। मई 2022 में ही अडानी पोर्ट्स ने म्यांमार पोर्ट को बेचने के लिए शेयर पर्चेज एग्रीमेंट किया था। पर्चेज एग्रीमेंट में ये शर्त थी कि प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा। इसके साथ ही खरीदार को कारोबार करने में कोई दिक्कतन न हो इसके लिए सभी जरूरी मंजूरी ले ली जाएगी।
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अडानी पोर्ट्स ने पहले कहा था कि परियोजना से बाहर निकलने के कंपनी के फैसले में प्रमुख अल्पसंख्यक शेयरधारकों के इनपुट एक प्रमुख कारक थे। अडानी पोर्ट्स ने मूल रूप से मार्च और जून 2022 के बीच निकास को पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन देरी के कारण कंपनी ने खरीदार, सोलर एनर्जी लिमिटेड के साथ बिक्री मूल्य को 30 मिलियन तक बढ़ा दिया। बयान में कहा गया कि खरीदार सभी जरुरी नियमों के अनुपालन करने के 3 दिनों के भीतर तय रकम का भुगतान कर देगा। मई 2021 की फाइलिंग से पता चलता है कि कंपनी ने परियोजना में $127 मिलियन का निवेश किया, जिसमें भूमि को पट्टे पर देने के लिए $90 मिलियन का अग्रिम भुगतान भी शामिल है।
अडानी पोर्ट एंड एसईजेड के सीईओ और होल-टाइम डायरेक्टर करण अडानी ने कहा कि इस पोर्ट से एग्जिट अक्टूबर 2021 में जोखिम समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड के बोर्ड APSEZ बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराये गए गाइडेंस के मुताबिक है। ये प्रोजेक्ट तब विवादों में फंस गया था ये बात सामने आई कि अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड के सीईओ करण अडानी ने 2019 में म्यांमार के सेना प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग हलिंग से मुलाकात की थी, जिन्होंने वहां की चुनी हुई सरकार के खिलाफ तख्तापलट का नेतृत्व किया था।