गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह कदम सी. पी. राधाकृष्णन के भारत के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद उठाया गया, क्योंकि वे पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल थे और उपराष्ट्रपति पद संभालने के लिए उन्होंने अपना पद छोड़ दिया।
भारत के राष्ट्रपति ने संवैधानिक प्रावधानों के तहत आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है, ताकि राज्य में संवैधानिक और कार्यकारी कार्य बिना रुकावट जारी रह सकें।
9 सितम्बर 2025 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में सी. पी. राधाकृष्णन की जीत हुई।
वे उस समय महाराष्ट्र के राज्यपाल थे और उपराष्ट्रपति पद ग्रहण करते ही उन्होंने अपना गवर्नर पद छोड़ दिया।
इससे महाराष्ट्र राजभवन में रिक्ति हो गई।
इस संवैधानिक शून्य से बचने के लिए राष्ट्रपति ने आचार्य देवव्रत को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी।
ऐसे अंतरिम प्रबंध भारतीय संविधान में सामान्य और स्वीकार्य हैं।
जन्म: 1959
वर्तमान: 22 जुलाई 2019 से गुजरात के राज्यपाल
पूर्व में: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल (2015–2019)
विशेष योगदान:
प्राकृतिक खेती और पर्यावरण संरक्षण के प्रबल समर्थक
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नशा मुक्ति अभियान, गौ संरक्षण और वृक्षारोपण जैसी सामाजिक पहलों में सक्रिय भागीदारी
विभिन्न राज्यों में प्रशासनिक अनुभव होने से वे दोहरी जिम्मेदारी निभाने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा।
प्रावधान: एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है, स्थायी या अस्थायी तौर पर।
इसी आधार पर राष्ट्रपति ने आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का कार्यवाहक राज्यपाल नियुक्त किया।
गुजरात और महाराष्ट्र दोनों बड़े राज्य हैं, ऐसे में दोहरी जिम्मेदारी निभाना चुनौतीपूर्ण होगा।
अधिकांश कार्य राजभवन कार्यालय और स्टाफ के जरिए पूरे हो सकते हैं, लेकिन कुछ कार्यों (जैसे विधान पर हस्ताक्षर, औपचारिक कार्यक्रम) के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक हो सकती है।
यह अवसर भी है कि गुजरात और महाराष्ट्र साझा विकास लक्ष्यों (विशेषकर कृषि, जल संरक्षण और ग्रामीण कल्याण) पर मिलकर कार्य कर सकें।
आचार्य देवव्रत: गुजरात के राज्यपाल, अब महाराष्ट्र के राज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार।
संविधान में संबंधित अनुच्छेद: अनुच्छेद 153 से 167 (भाग VI – राज्य कार्यपालिका)।
अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिए राज्यपाल होगा, परंतु एक ही व्यक्ति दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल भी हो सकता है।
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