केंद्र सरकार ने कपास (HS Code 5201) पर आयात शुल्क छूट की समय-सीमा बढ़ाने की घोषणा की है। अब यह छूट 31 दिसम्बर 2025 तक लागू रहेगी। पहले यह छूट 19 अगस्त से 30 सितम्बर 2025 तक दी गई थी। इस कदम का उद्देश्य भारतीय वस्त्र और परिधान क्षेत्र में कपास की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखना है, खासकर तब जब वैश्विक कपास कीमतों में वृद्धि और घरेलू आपूर्ति संबंधी चुनौतियाँ सामने हैं।
पृष्ठभूमि व प्रारम्भिक छूट
सरकार ने 19 अगस्त 2025 से कपास आयात शुल्क को अस्थायी रूप से हटा दिया था, जिसका पहला समय-सीमा 30 सितम्बर 2025 तय किया गया था। यह निर्णय इन कारणों से लिया गया:
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घरेलू आपूर्ति की कमी
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कपास की कीमतों में उतार-चढ़ाव
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भारतीय वस्त्र उद्योग से निर्यात की बढ़ती मांग
वस्त्र क्षेत्र भारत के सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक है। कच्चे माल की उपलब्धता में अस्थिरता से उत्पादन, निर्यात और रोजगार पर सीधा असर पड़ सकता है।
विस्तार का कारण
छूट को वर्ष के अंत तक बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य आगामी त्योहारी और निर्यात सीज़न में कपास की उपलब्धता बनाए रखना है। इससे—
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घरेलू कपास कीमतों को स्थिर करने में मदद मिलेगी
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वस्त्र निर्माता और निर्यातक लाभान्वित होंगे
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परिधान उत्पादन श्रृंखला में व्यवधान नहीं होगा
यह निर्णय आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर बनाए रखने और भारतीय कपास उत्पादों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को सशक्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नीतिगत प्रभाव
यह छूट विशेष रूप से भारत की कपास वस्त्र मूल्य शृंखला के लिए अहम है, जिसमें शामिल हैं:
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स्पिनिंग मिल्स (सूती धागा उद्योग)
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परिधान निर्माता
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निर्यातक – खासकर अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों जैसे बड़े बाज़ारों को लक्षित करने वाले
इसके अलावा, यह कदम जलवायु परिवर्तनजन्य फसल उत्पादन में उतार-चढ़ाव और वैश्विक बाज़ार की अस्थिरता से होने वाले प्रभाव को कम करेगा, ताकि निर्माता सुलभ दरों पर पर्याप्त कच्चा माल प्राप्त कर सकें।


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