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मन की बात 129वां एपिसोड: पीएम मोदी द्वारा 2025 का आखिरी एपिसोड

‘मन की बात’ के 129वें एपिसोड में, जो 28 दिसंबर 2025 को प्रसारित हुआ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 में भारत की उपलब्धियों पर व्यापक चर्चा की और आने वाले वर्ष के लिए देश की आकांक्षाओं, जिम्मेदारियों तथा सामूहिक संकल्प को रेखांकित किया। वर्ष 2025 का अंतिम ‘मन की बात’ होने के कारण यह संबोधन राष्ट्रीय सुरक्षा, युवा भागीदारी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जमीनी स्तर की सफलता की कहानियों का समन्वय था, जिसने ‘विकसित भारत’ के विज़न को मजबूती दी।

2025: राष्ट्रीय गौरव और वैश्विक प्रभाव का वर्ष

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि 2025 ऐसा वर्ष रहा जिसने हर भारतीय को गर्व से भर दिया। राष्ट्रीय सुरक्षा, खेल, विज्ञान, अंतरिक्ष और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत ने अपनी मजबूत वैश्विक छाप छोड़ी।
  • उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का विशेष उल्लेख किया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा पर भारत के अडिग रुख और मां भारती से नागरिकों के गहरे भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बनकर उभरा।
  • इस वर्ष ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष भी पूरे हुए, जिन्हें #VandeMataram150 हैशटैग के माध्यम से व्यापक जनभागीदारी के साथ उत्साहपूर्वक मनाया गया।

ऐतिहासिक खेल उपलब्धियाँ

प्रधानमंत्री मोदी ने 2025 को भारतीय खेलों का स्वर्णिम वर्ष बताया और कई ऐतिहासिक जीतों को रेखांकित किया—

  • पुरुष क्रिकेट टीम द्वारा ICC चैंपियंस ट्रॉफी जीतना
  • महिला क्रिकेट टीम द्वारा पहली बार विश्व कप जीतना
  • भारतीय महिलाओं द्वारा वूमेन्स ब्लाइंड T20 विश्व कप जीतना
  • एशिया कप T20 और पैरा-स्पोर्ट्स विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि ये उपलब्धियाँ भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और समावेशी खेल पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाती हैं।

विज्ञान, अंतरिक्ष और पर्यावरण में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ

  • विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की प्रगति भी वर्ष 2025 की प्रमुख उपलब्धियों में रही। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुँचने वाले पहले भारतीय बने, जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
  • पर्यावरण के मोर्चे पर उन्होंने बताया कि भारत में चीतों की संख्या 30 से अधिक हो गई है, जो वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास वर्षभर की प्रमुख प्राथमिकताएँ रहीं।

संस्कृति, आस्था और विरासत

प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि 2025 में आस्था, संस्कृति और विरासत एक साथ देखने को मिली—

  • वर्ष की शुरुआत में प्रयागराज महाकुंभ ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया
  • वर्ष के अंत में अयोध्या के राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह ने पूरे देश को गौरवान्वित किया
  • स्वदेशी के प्रति बढ़ता उत्साह, जहाँ लोग सचेत रूप से भारतीयों द्वारा निर्मित उत्पादों को चुन रहे हैं
  • उन्होंने कहा कि इन घटनाओं ने भारत के सांस्कृतिक आत्मविश्वास को और मजबूत किया।

युवा शक्ति और विकसित भारत

  • युवाओं को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए प्रधानमंत्री ने ऐसे मंचों पर विस्तार से बात की, जो युवाओं को अपने विचार और नवाचार साझा करने का अवसर देते हैं।
  • उन्होंने ‘विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग’ का उल्लेख किया, जिसका दूसरा संस्करण राष्ट्रीय युवा दिवस (12 जनवरी) के आसपास, स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आयोजित होगा। इसमें युवा नवाचार, स्टार्टअप, कृषि और फिटनेस जैसे विषयों पर अपने विचार साझा करेंगे।
  • स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2025 का भी विशेष उल्लेख किया गया। अब तक 6,000 से अधिक संस्थानों के 13 लाख से ज्यादा छात्र इसमें भाग ले चुके हैं और ट्रैफिक प्रबंधन, साइबर सुरक्षा, डिजिटल धोखाधड़ी, ग्रामीण बैंकिंग और कृषि जैसी वास्तविक जीवन की चुनौतियों के समाधान प्रस्तुत किए हैं।

आधुनिकता और सांस्कृतिक जड़ों का समन्वय

प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि भले ही तकनीक तेज़ी से जीवन को बदल रही हो, लेकिन संस्कृति से जुड़े रहना उतना ही आवश्यक है। उन्होंने कुछ प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किए—

  • ‘गीतांजलि IISc’: भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में शुरू हुई यह संगीत पहल आगे चलकर एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित हुई।
  • ‘कन्नड़ पाठशाले’, दुबई: भारतीय प्रवासी बच्चों को अपनी मातृभाषा से जोड़ने का एक सराहनीय प्रयास।
  • काशी तमिल संगमम् जैसी पहलों के माध्यम से तमिल भाषा के प्रति बढ़ती रुचि, जहाँ वाराणसी में हिंदी भाषी बच्चे भी तमिल सीख रहे हैं।
  • इन उदाहरणों ने भारत की विविधता में एकता की सांस्कृतिक शक्ति को उजागर किया।

जमीनी बदलाव के नायक और सौर ऊर्जा

  • प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मॉइरांगथेम सेठ की कहानी साझा की, जिन्होंने सौर ऊर्जा का उपयोग कर दूरदराज़ क्षेत्रों में बिजली की कमी को दूर किया। इससे स्वास्थ्य सेवाओं, आजीविका, महिलाओं, मछुआरों और कारीगरों को लाभ मिला।
  • उन्होंने इसे पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से जोड़ा, जिसके तहत परिवारों को रूफटॉप सोलर लगाने के लिए ₹75,000–₹80,000 की सहायता दी जाती है। यह भारत की नवीकरणीय ऊर्जा और आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम है।

विरासत, अनसुने नायक और स्वतंत्रता संग्राम

  • प्रधानमंत्री मोदी ने जहनपोरा, बारामूला (जम्मू-कश्मीर) में हुए पुरातात्विक खोजों का उल्लेख किया, जहाँ प्राचीन बौद्ध स्तूपों से कश्मीर की 2,000 वर्ष पुरानी विरासत सामने आई।
  • उन्होंने ओडिशा की पार्वती गिरी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी जन्म शताब्दी जनवरी 2026 में मनाई जाएगी। एक स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेविका के रूप में उन्होंने भारत की आज़ादी और सामाजिक उत्थान में अनसुने नायकों के योगदान का प्रतीक प्रस्तुत किया।

स्वास्थ्य परामर्श: एंटीबायोटिक प्रतिरोध

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग के प्रति चेतावनी दी। उन्होंने बताया कि इससे निमोनिया और यूटीआई (मूत्र मार्ग संक्रमण) जैसी बीमारियों का इलाज और कठिन होता जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने नागरिकों से अपील की कि एंटीबायोटिक दवाएँ केवल चिकित्सकीय सलाह पर ही लें, और इस बात पर ज़ोर दिया—
“दवाओं को मार्गदर्शन चाहिए, एंटीबायोटिक को डॉक्टर चाहिए।”

पारंपरिक कला, जीआई टैग और महिला सशक्तिकरण

  • अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे पारंपरिक कलाएँ आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बन रही हैं—
  • नरसापुरम लेस (आंध्र प्रदेश) को जीआई टैग मिला, जिससे 250 गांवों की लगभग 1 लाख महिलाओं को समर्थन मिला।
  • मार्गरेट रामथार्सीएम (मणिपुर) और चोखोने क्रिचेना (सेनापति जिला) जैसी उद्यमी हस्तशिल्प और पुष्प-उत्पादन को स्थायी आजीविका में बदल रही हैं।
  • इन उदाहरणों से यह स्पष्ट हुआ कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक दृष्टि के समन्वय से स्थानीय विकास को नई गति मिल सकती है।

त्योहार, पर्यटन और भारत की विविधता

प्रधानमंत्री ने लोगों से भारत की विविधता को त्योहारों और पर्यटन के माध्यम से जानने का आग्रह किया। उन्होंने कच्छ रण उत्सव का उल्लेख किया, जो 23 नवंबर से 20 फरवरी तक चलता है और इस सत्र में अब तक 2 लाख से अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर चुका है।

 

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