सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 1 दिसंबर को अपना 59वां स्थापना दिवस मनाया। यह महत्वपूर्ण संगठन पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ भारत की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद स्थापित, बीएसएफ का आदर्श वाक्य, “जीवन पर्यन्त कर्तव्य” (मृत्यु तक कर्तव्य), राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति इसकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: प्रारंभ में 25 बटालियनों के साथ गठित, बीएसएफ ने पर्याप्त वृद्धि देखी है और वर्तमान में इसमें 192 बटालियन और लगभग 270,000 कर्मी शामिल हैं।
विशिष्ट इकाइयाँ: अपनी मुख्य बटालियनों के अलावा, बीएसएफ में विशेष इकाइयाँ हैं, जिनमें वायु और नौसेना विंग के साथ-साथ एक तोपखाने रेजिमेंट भी शामिल है, जो इसकी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाती है।
युद्ध-समय के कार्य: संघर्ष के समय में, बीएसएफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें निर्दिष्ट क्षेत्रों में जमीन पर कब्जा करना, अनियमित दुश्मन ताकतों के खिलाफ सीमित आक्रामक कार्रवाई करना और सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना को सहायता प्रदान करना शामिल है।
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1 दिसंबर, 1965 को स्थापित, बीएसएफ ने भारत की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1965 के युद्ध के बाद, भारतीय सीमाओं पर घुसपैठ, तस्करी और सैन्य आक्रमण के कारण एक विशेष बल की आवश्यकता स्पष्ट हो गई थी। तब एक संसदीय प्रस्ताव के माध्यम से बीएसएफ का गठन किया गया था। प्रारंभ में सीमा सरक्षा बल में विभिन्न राज्य सशस्त्र पुलिस बटालियनों के कर्मी शामिल थे, अब सीमा सरक्षा बल में लगभग 2.65 लाख जवान हैं, बीएसएफ में 193 नियमित बटालियन, 4 एनडीआरएफ बटालियन, 7 तोपखाने की इकाइयां, 8 वाटर विंग और 1 एयर विंग शामिल है।
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