ग्रुप ऑफ सेवन, जिसे सामान्यतः G7 कहा जाता है, विश्व के कुछ सबसे विकसित और औद्योगीकृत लोकतांत्रिक देशों का एक अनौपचारिक मंच है। इसके सदस्य देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। यूरोपीय संघ भी इसमें एक अप्रगणित सदस्य के रूप में भाग लेता है। G7 शिखर सम्मेलन इन देशों को वैश्विक आर्थिक प्रशासन, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, तकनीकी परिवर्तन, जलवायु कार्रवाई और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का एक मंच प्रदान करता है।
2025 के G7 शिखर सम्मेलन का स्थल और मेज़बान
51वां G7 शिखर सम्मेलन 15 से 17 जून 2025 तक कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में स्थित पर्वतीय पर्यटन नगर कनानास्किस, बान्फ़ में आयोजित किया गया। इसकी मेज़बानी कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने की। इस सम्मेलन का मुख्य विषय तीन प्रमुख लक्ष्यों के इर्द-गिर्द केंद्रित था: समुदायों और विश्व की सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करना और डिजिटल परिवर्तन को तेज़ करना, तथा भविष्य के लिए रणनीतिक साझेदारियों को सुरक्षित करना।
सदस्य राष्ट्र और भाग लेने वाले नेता
इस शिखर सम्मेलन में G7 देशों के नेताओं ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:
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कनाडा: प्रधानमंत्री मार्क कार्नी
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फ्रांस: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
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जर्मनी: चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़
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इटली: प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी
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जापान: प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा
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यूनाइटेड किंगडम: प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर
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संयुक्त राज्य अमेरिका: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व आयोग अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और परिषद अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने किया।
इसके अलावा, कई गैर-G7 देशों को साझेदार देशों के रूप में आमंत्रित किया गया, जिनमें शामिल थे: भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और यूक्रेन।
प्रमुख विषय और कार्य सत्र
इस शिखर सम्मेलन का एजेंडा व्यापक था और इसमें निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा हुई:
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वैश्विक व्यापार और आर्थिक पुनर्संरेखन
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ऊर्जा सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता और साइबर सुरक्षा का वैश्विक शासन
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आतंकवाद, जंगल की आग और तस्करी जैसे भू-राजनीतिक सुरक्षा खतरे
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रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-ईरान संघर्ष जैसे क्षेत्रीय विवाद
इज़राइल-ईरान संघर्ष और पश्चिम एशिया में तनाव
शिखर सम्मेलन की शुरुआत इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष के बीच हुई, जिससे सम्मेलन का फोकस आर्थिक मुद्दों से हटकर तात्कालिक सुरक्षा चिंताओं पर आ गया। G7 नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार की पुष्टि की और ईरान को क्षेत्रीय अस्थिरता का प्रमुख स्रोत बताया।
हालाँकि G7 ने गाज़ा में तनाव कम करने और संघर्षविराम की अपील की, लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर युद्धविराम की मांग नहीं की। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच शांति प्रयासों की दिशा और नेतृत्व को लेकर मतभेद भी सामने आए।
व्यापार समझौते और आर्थिक पुनर्संरेखन
शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी घोषणाओं में से एक संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के बीच एक नए पोस्ट-ब्रेक्सिट व्यापार समझौते की थी। इस समझौते के तहत ब्रिटेन के ऑटोमोटिव और एयरोस्पेस उत्पादों पर शुल्क में कटौती की गई और बीफ व एथेनॉल जैसे क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा दिया गया। हालांकि, स्टील टैरिफ को लेकर मतभेद बने रहे।
इसके अलावा, कनाडा और अमेरिका के बीच भी शुल्क विवादों को सुलझाने के लिए 30-दिवसीय समयसीमा के भीतर व्यापार वार्ताएं शुरू की गईं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और वैश्विक तकनीकी शासन
इस शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कनाडा ने डिजिटल गवर्नेंस को प्राथमिकता दी, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में। इस विषय पर प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित रहे:
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2023 में अपनाए गए हीरोशिमा एआई आचार संहिता में किए गए नैतिक संकल्पों की पुनः पुष्टि की गई।
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OECD के AI फ्रेमवर्क को पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए समर्थन दिया गया।
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कनाडा ने AI और डिजिटल नवाचार के लिए एक नया मंत्रालय स्थापित करने की घोषणा की।
भारत ने इन चर्चाओं में सक्रिय भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “जिम्मेदार AI” की अवधारणा को आगे बढ़ाया और फर्जी वीडियो (deepfakes) को रोकने के लिए वॉटरमार्किंग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और आधार जैसे डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकासशील देशों के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया।
रूस-यूक्रेन युद्ध और G7 की विभाजित प्रतिक्रिया
रूस-यूक्रेन युद्ध शिखर सम्मेलन में चर्चाओं का एक मुख्य विषय बना रहा, हालांकि 2025 में G7 देशों की एकमत राय कमजोर पड़ती दिखी। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने सम्मेलन में भाग लिया और कनाडा से दो अरब कनाडाई डॉलर की सैन्य सहायता प्राप्त की।
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन पर एक मजबूत G7 संयुक्त बयान जारी करने का विरोध किया। परिणामस्वरूप, कनाडा ने स्वयं का चेयर समरी जारी किया, जिसमें निर्विरोध संघर्षविराम और नए शांति प्रयासों की अपील की गई।
भारत ने अपनी तटस्थ नीति को बरकरार रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र में मतदान से दूरी बनाए रखी, मानवीय सहायता प्रदान की और रूस तथा पश्चिमी देशों दोनों से संतुलित संबंध बनाए। G7 में दिखे इस विभाजन से भारत पर रूस नीति को लेकर पड़ने वाला बाहरी दबाव कम हो सकता है।
ऊर्जा सुरक्षा, जंगलों में आग और जलवायु प्रतिबद्धताएँ
इस वर्ष के G7 शिखर सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन प्रमुख विषय रहे। कनाडा, जो इस समय गंभीर जंगल की आग से जूझ रहा है, ने जलवायु संबंधी आपदाओं से उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं को प्रमुखता से उठाया। चर्चा का केंद्र था:
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लचीली और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण
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नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण को तेज करना
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जलवायु वित्त को जुटाना और वितरित करना
भारत ने दोहराया कि वह पेरिस समझौते के लक्ष्यों को निर्धारित समय से पहले हासिल करने की दिशा में अग्रसर है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) को वैश्विक ऊर्जा सहयोग के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया।
G7 शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G7 शिखर सम्मेलन में अपनी छठी उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे वैश्विक मंच पर भारत की रणनीतिक प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया।
भारत ने सम्मेलन में निम्नलिखित प्रमुख योगदान दिए:
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न्यायसंगत और समावेशी AI शासन की वकालत
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UPI और आधार जैसे डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की वैश्विक महत्ता को उजागर किया
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विकास वित्त, कर्ज राहत और ग्लोबल साउथ के लिए न्यायपूर्ण भागीदारी पर ज़ोर दिया
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आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकता की अपील
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लोकतांत्रिक मूल्यों, शांति निर्माण, और बहुपक्षीय संस्थानों के समर्थन की पुष्टि
राजनयिक स्तर पर, भारत और कनाडा ने पूर्व के तनावपूर्ण संबंधों को सुधारते हुए सामान्य राजनयिक सेवाओं को बहाल करने पर सहमति जताई।
G7 के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) शासकीय रिकॉर्ड का सारांश
पिछले तीन वर्षों में G7 देशों ने AI गवर्नेंस पर निरंतर काम किया है और इसे वैश्विक एजेंडे में प्राथमिकता दी है:
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2023 में जापान ने हिरोशिमा AI आचार संहिता (Code of Conduct) की शुरुआत की।
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2024 में इटली ने AI रिपोर्टिंग ढाँचे (AI Reporting Framework) की स्थापना की।
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2025 में कनाडा ने AI शासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और एक विशेष AI मंत्रालय की स्थापना की।
यह विकसित होता हुआ नियामक ढाँचा इस बात को दर्शाता है कि नवाचार को नैतिक मानकों और सार्वजनिक जवाबदेही से जोड़ना आज समय की मांग है।
ट्रंप का समयपूर्व प्रस्थान और राजनीतिक घटनाक्रम
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इज़राइल-ईरान संघर्ष के चलते G7 शिखर सम्मेलन को समय से पहले छोड़ दिया। उन्होंने यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया और मैक्सिको के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें रद्द कर दीं। उनकी अनुपस्थिति ने सम्मेलन में अनिश्चितता और व्यापार व सुरक्षा चर्चाओं में विघटन उत्पन्न कर दिया। शेष सत्रों में अमेरिका का प्रतिनिधित्व ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने किया।
ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के बीच शांति स्थापना और संघर्ष समाधान को लेकर मतभेद भी देखने को मिले।
व्यापक समझौते और सहयोग
विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, G7 देशों ने कई संयुक्त वक्तव्य जारी किए, जिनमें शामिल थे:
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग पर वैश्विक सहयोग को मजबूत करना
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प्रवासी तस्करी को रोकने के उपाय
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महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति को बेहतर बनाना
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जंगल की आग जैसी आपात स्थितियों पर संयुक्त प्रतिक्रिया, हालांकि जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया
ये समझौते इस बात को दर्शाते हैं कि तेजी से बदलती दुनिया में G7 अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने का प्रयास कर रहा है।