भारत का कृषि क्षेत्र, जो आजीविका और खाद्य सुरक्षा का आधार है, लंबे समय से बिखरी हुई योजनाओं और असंगठित क्रियान्वयन के कारण कम प्रभावी रहा है। इसी समस्या के समाधान हेतु केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) को मंजूरी दी है। यह योजना बजट 2025–26 में घोषित की गई थी और इसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता, स्थिरता तथा किसानों की आर्थिक क्षमता को बढ़ाना है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार की 36 योजनाओं को एकीकृत कर एक समन्वित ढांचा तैयार किया गया है।
विभिन्न मंत्रालयों द्वारा संचालित योजनाओं के बावजूद भारतीय कृषि क्षेत्र कम उत्पादकता, बंटे हुए भूखंडों और जलवायु असुरक्षाओं से जूझता रहा है। योजनाओं में आपसी समन्वय की कमी और दोहराव के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए। इन्हीं कारणों को दूर करने के लिए, PMDDKY को आकांक्षी जिलों कार्यक्रम के आधार पर विकेंद्रीकृत, डेटा-संचालित हस्तक्षेपों के रूप में तैयार किया गया है।
योजना एकीकरण: 11 मंत्रालयों की 36 केंद्रीय योजनाओं का एकीकृत रूप, जिससे प्रशासनिक दोहराव कम होगा।
वार्षिक बजट: ₹24,000 करोड़ प्रतिवर्ष, कुल छह वर्षों तक (2025–26 से शुरू), जिससे लगभग 1.7 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे।
जिला-स्तरीय लक्ष्य: 100 पिछड़े जिले चयनित किए गए हैं, जिनकी उत्पादकता, फसल विविधता और कृषि ऋण पहुंच कम है—हर राज्य/केंद्रशासित प्रदेश से कम-से-कम एक जिला।
स्थानीय योजना: प्रत्येक जिले में जिला धन-धान्य समिति का गठन होगा, जो जिला कृषि और संबद्ध गतिविधि योजना (DAAAP) बनाएगी, जिसमें प्रगतिशील किसानों की भागीदारी भी होगी।
प्रमुख फोकस क्षेत्र: कटाई के बाद की बुनियादी ढांचा, सिंचाई दक्षता, जैविक खेती, फसल विविधीकरण और ऋण तक पहुंच।
निगरानी और साझेदारी: मासिक समीक्षा बैठकें और सार्वजनिक-निजी भागीदारी से नवाचार को बढ़ावा।
PMDDKY केवल सब्सिडी आधारित दृष्टिकोण को बदलकर मूल्य श्रृंखला आधारित सहायता मॉडल को अपनाती है, जिससे जलवायु-संवेदनशील और आर्थिक रूप से व्यवहारिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। यह विकेंद्रीकृत योजना निर्माण के माध्यम से स्थानीय शासन को सशक्त बनाती है और आत्मनिर्भर भारत व किसानों की आय दोगुनी करने जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों को भी समर्थन देती है।
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