सुप्रीम कोर्ट ने राम की जन्मभूमि भूमि -बाबरी मस्जिद विवाद मामले में राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर “स्थायी समाधान” पर पहुंचने के लिए अदालत की निगरानी में मध्यस्थता का आदेश दिया।
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने रिटायर्ड जस्टिस कलीफुल्लाह के साथ कोर्ट द्वारा नियुक्त तथा निगरानी मध्यस्थता प्रक्रिया की अध्यक्षता करते हुए टाइटल सूट में 3 मध्यस्थों का एक पैनल नियुक्त किया। अन्य दो सदस्य आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू हैं।
पैनल के 3 सदस्यों के बारे में संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है:
1. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एफ.एम इब्राहिम कलीफुल्ला: न्यायमूर्ति कलीफुल्ला ने चेन्नई में अपना कानूनी अभ्यास शुरू किया। उन्हें 2000 में मद्रास उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
2. श्री श्री रविशंकर: आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक हैं, श्री श्री रविशंकर का जन्म तमिलनाडु के पापनासम में हुआ था और उन्होंने पिछले दिनों अयोध्या मामले के संबंध में कई विवादास्पद बयान दिए हैं।
3. सीनियर एडवोकेट श्रीराम पंचू- सीनियर एडवोकेट और एक विशेषज्ञ मध्यस्थ, श्रीराम पंचू 1990 के दशक से मामलों की मध्यस्थता कर रहे हैं। उन्होंने 2005 में भारत के पहले ऐसे केंद्र द मेडिएशन चैम्बर्स की स्थापना की, और एक निदेशक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान (IMI) के बोर्ड में भी हैं।
स्रोत – NDTV न्यूज़