प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) ने 25 दिसंबर 2025 को अपने 25 वर्ष पूरे किए। यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास योजनाओं में से एक है। PMGSY का उद्देश्य असंपर्कित ग्रामीण बस्तियों को हर मौसम में चलने योग्य सड़कों से जोड़ना है, ताकि गांवों का संपर्क बाजारों, स्कूलों, अस्पतालों और आर्थिक अवसरों से मजबूत हो सके।
PMGSY @ 25 : विस्तार और उपलब्धियां
- योजना की शुरुआत से ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) ने भौतिक और संस्थागत दोनों स्तरों पर उल्लेखनीय प्रगति की है।
- दिसंबर 2025 तक, इस कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 8,25,114 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 7,87,520 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है। यह लगभग 95 से 96 प्रतिशत भौतिक प्रगति को दर्शाता है।
- इतने बड़े पैमाने के कारण PMGSY को विश्व की सबसे बड़ी ग्रामीण सड़क योजनाओं में से एक माना जाता है।
- बजटीय समर्थन लगातार इस योजना के महत्व को मजबूत करता रहा है।
- वित्त वर्ष 2025–26 के लिए PMGSY को ₹19,000 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो ग्रामीण संपर्क को सुदृढ़ करने और आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
पीएमजीएसवाई के अंतर्गत चरणबद्ध प्रगति
योजना की शुरुआत से अब तक,
- कुल स्वीकृत सड़कें: 8,25,114 किलोमीटर
- कुल पूर्ण सड़कें: 7,87,520 किलोमीटर (लगभग 95% प्रगति)
- वित्त वर्ष 2025–26 का बजटीय आवंटन: ₹19,000 करोड़
पीएमजीएसवाई चरण–I (2000)
- उद्देश्य: पहले से असंपर्कित ग्रामीण बसाहटों को हर मौसम में सड़क संपर्क उपलब्ध कराना।
- लाभार्थी: देशभर की 1,63,339 ग्रामीण बसाहटें।
पीएमजीएसवाई चरण–II (2013)
- फोकस: मौजूदा सड़क नेटवर्क का उन्नयन तथा ग्रामीण बाजारों और सेवा केंद्रों से बेहतर संपर्क स्थापित करना, ताकि परिवहन अधिक प्रभावी हो सके।
- वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (RCPLWEA) – 2016
- लक्षित क्षेत्र: 9 राज्यों के 44 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिले।
- दोहरा उद्देश्य: सुरक्षा बलों की आवाजाही में सुधार तथा सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
पीएमजीएसवाई चरण–III (2019)
- लक्ष्य: 1,25,000 किलोमीटर थ्रू रूट्स और प्रमुख ग्रामीण संपर्क सड़कों का निर्माण।
- उपलब्धियां (दिसंबर 2025 तक):
- स्वीकृत: 1,22,393 किलोमीटर
- निर्मित: 1,01,623 किलोमीटर (लगभग 83% प्रगति)
- परिणाम: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, बाजार तक पहुंच और रोजगार के अवसरों में सुधार।
पीएमजीएसवाई चरण–IV (2024–29)
- उद्देश्य: 62,500 किलोमीटर सड़कों के माध्यम से 25,000 असंपर्कित बसाहटों को जोड़ना।
- कुल परिव्यय: ₹70,125 करोड़
- फोकस: विशेष श्रेणी के क्षेत्र — आदिवासी क्षेत्र, आकांक्षी जिले और मरुस्थलीय क्षेत्र।
प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी एवं गुणवत्ता आश्वासन
- पीएमजीएसवाई की सफलता में उन्नत डिजिटल प्लेटफॉर्म और आधुनिक निगरानी प्रणालियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही और सड़कों की दीर्घकालिक गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
- ऑनलाइन प्रबंधन, निगरानी और लेखा प्रणाली (OMMAS): यह प्रणाली भौतिक और वित्तीय प्रगति की रीयल-टाइम निगरानी को संभव बनाती है।
- गुणवत्ता निरीक्षण: राष्ट्रीय और राज्य गुणवत्ता मॉनिटरों द्वारा किए गए निरीक्षण जियो-टैग किए जाते हैं और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से अपलोड किए जाते हैं, जिससे फील्ड स्तर पर पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
- ई-मार्ग (e-MARG) प्लेटफॉर्म: यह पांच वर्षीय दोष दायित्व अवधि (Defect Liability Period) के दौरान सड़कों के रखरखाव की व्यवस्थित निगरानी करता है तथा ठेकेदारों के भुगतान को सीधे सड़क के प्रदर्शन और गुणवत्ता परिणामों से जोड़ता है।
- अनिवार्य जीपीएस-सक्षम वाहन ट्रैकिंग प्रणाली: मई 2022 से पीएमजीएसवाई-III के तहत लागू यह व्यवस्था मशीनरी की तैनाती और निर्माण प्रक्रियाओं की निगरानी कर निरीक्षण व्यवस्था को और मजबूत बनाती है।
तीन-स्तरीय गुणवत्ता निगरानी प्रणाली
एक सशक्त तीन-स्तरीय गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के माध्यम से परिसंपत्तियों की दीर्घकालिक मजबूती सुनिश्चित की जाती है—
- स्तर-I: कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा फील्ड स्तर पर जांच।
- स्तर-II: स्वतंत्र राज्य गुणवत्ता मॉनिटरों द्वारा निरीक्षण।
- स्तर-III: ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटरों के माध्यम से आकस्मिक ऑडिट।
इन सभी आकलनों को OMMAS में एकीकृत किया जाता है, जिससे रीयल-टाइम निगरानी संभव होती है।
प्रमुख बिंदु
- पीएमजीएसवाई की शुरुआत: 25 दिसंबर 2000; वर्ष 2025 में 25 वर्ष पूर्ण।
- स्वीकृत सड़कें: 8.25 लाख किमी; पूर्ण: 7.87 लाख किमी (लगभग 96%)।
- पीएमजीएसवाई-IV (2024–29): 62,500 किमी सड़कें, ₹70,125 करोड़ का परिव्यय, 25,000 बसाहटों को जोड़ने का लक्ष्य।
- पीएमजीएसवाई-III: दिसंबर 2025 तक 83% निर्माण प्रगति।
- प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग: OMMAS, e-MARG, जीपीएस ट्रैकिंग और तीन-स्तरीय गुणवत्ता निगरानी।
- फोकस: सतत निर्माण सामग्री और जलवायु-अनुकूल (Climate-Resilient) प्रौद्योगिकियां।
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