घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने FY23 (वित्त वर्ष 2022-2023) में भारत के लिए वास्तविक GDP विकास अनुमान को घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। पहले यह 7.8 फीसदी रहने का अनुमान था। इसके लिए तेल की ऊंची कीमतों, निर्यात मांग में कमी और उच्च मुद्रास्फीति को नीचे की ओर रिवाईज किया जाना कारण माना गया है।
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क्रिसिल ने कहा कि जिंसों की ऊंची कीमतें, माल ढुलाई की ऊंची कीमतें, वैश्विक विकास अनुमान कम होने से निर्यात पर दबाव और निजी खपत का सबसे बड़ा मांग पक्ष कमजोर बना हुआ है। एजेंसी ने कहा कि मुद्रास्फीति, जो वित्त वर्ष 2012 में औसतन 6.8 प्रतिशत पर आंकी गई है, जबकि वित्त वर्ष 2012 में 5.5 प्रतिशत थी, क्रय शक्ति को कम करती है और जीडीपी के सबसे बड़े घटक की खपत के पुनरुद्धार पर असर डालती है।
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