RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति की लचीली दर के बीच नीतिगत दर को यथास्थिति (unchanged) बनाए रखने का फैसला किया है। यानि अब रेपो दर अथवा आरबीआई जिस दर पर बैंकों को उधार देता है वह 4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित (unchanged) रहेगी। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेगी। MPC समिति के सदस्यों ने निर्णय के पक्ष में सर्वसम्मति से मतदान किया।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय हैं:-
- चलनिधि समायोजन सुविधा (liquidity adjustment facility) के तहत रेपो दर को 4.00% पर अपरिवर्तित रखा गया है.
- LAF के तहत रिवर्स रेपो दर को 3.35% पर अपरिवर्तित रखा गया है.
- सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal standing facility) दर और बैंक दर को 4.25% पर अपरिवर्तित रखा गया है।
- गवर्नर शक्तिकांत दास ने एनबीएफसी लाभांश वितरण (NBFC dividend distribution) के लिए मापदंड निर्धारित करने और बड़े एनबीएफसी और सह-ऑप बैंकों में जोखिम-आधारित ऑडिट शुरू करने का प्रस्ताव रखा ।
- जल्द ही RTGS को अगले कुछ दिनों में 24X7 कर दिया जाएगा।
- विनिर्माण फर्मों की कारोबारी व्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
- CPI मुद्रास्फीति तीसरी तिमाही में 6.8% और चौथी तिमाही में 5.8% रहेगी।
- वित्त वर्ष 21 में वास्तविक जीडीपी विकास -7.5% आंकी गई है। वित्त वर्ष-21 के Q3 में GDP के 0.1% पर रहने की संभावना है जबकि FY-21 Q4 में GDP 0.7% रहने का अनुमान है।
- कॉरपोरेट बॉन्ड स्प्रेड्स पूर्व-कोविद स्तरों तक संकुचित हो गए हैं।
- RBI ने जनवरी 2021 से संपर्क रहित कार्ड भुगतान की सीमा को 2000 से बढ़ाकर 5000 करने का प्रस्ताव किया है।
- इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (Emergency Credit Line Guarantee Scheme) स्कीम के साथ अन्य प्रमुख क्षेत्रों को कवर करने के लिए ऑन-टैप लक्षित लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस (Targeted Long Term Repo Operations) का विस्तार किया जाएगा।
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मौद्रिक नीति के बारे में:
मौद्रिक नीति क्या है?
मौद्रिक नीति रिज़र्व बैंक की नीति है जो अधिनियम में वर्णित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, लिक्विडिटी समायोजन सुविधा जैसे और कई अन्य मौद्रिक साधनों का उपयोग करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है।
मौद्रिक नीति के उद्देश्य?
- देश में मौद्रिक नीति का मुख्य लक्ष्य विकास के साथ-साथ मूल्य स्थिरता को बनाए रखना है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मूल्य स्थिरता को एक आवश्यक पूर्व शर्त के रूप में देखा जाता है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक को मई 2016 में किए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 संशोधन के अनुसार भारत सरकार के साथ-साथ लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण का कार्य भी दिया गया हैं। यह प्रत्येक पाँच में एक बार किया जाता है।
- भारत सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में 5 अगस्त, 2016 से 31 मार्च, 2021 की अवधि के लिए लक्ष्य के रूप में 4 प्रतिशत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को अधिसूचित किया है। लक्ष्य को ऊपरी सहन सीमा 6 प्रतिशत और निचली सहन सीमा 2 प्रतिशत तय की गई है।
मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 में संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम स्पष्ट रूप से रिज़र्व बैंक के लिए देश के मौद्रिक नीति ढांचे को परिचालित करने के लिए विधायी अधिदेश का प्रावधान करता है। इस ढांचे का लक्ष्य वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति और मुद्रा बाजार दरों को रेपो दर के आसपास संचालित करने के लिए चलनिधि स्थिति के उतार-चढ़ाव के आकलन के आधार पर नीति (रेपो) दर निर्धारित करना है।
मौद्रिक नीति समिति की संरचना?
केंद्र सरकार ने सितंबर 2016 में संशोधित RBI अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के तहत, छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन किया है।
मौद्रिक नीति समिति की संरचना इस प्रकार की गई है:-
- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर – अध्यक्ष, शक्तिकांत दास
- भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति के प्रभारी – सदस्य, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा
- भारतीय रिजर्व बैंक के एक अधिकारी को केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित किया जाना है – पदेन सदस्य सदस्य: डॉ. मृदुल के. सगर.
- मुंबई स्थित इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान के प्रोफेसर: आशिमा गोयल.
- अहमदाबाद के भारतीय प्रबंधन संस्थान में वित्त के प्रोफेसर: जयंत आर वर्मा
- कृषि अर्थशास्त्री और नई दिल्ली के नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के वरिष्ठ सलाहकार: डॉ. शशांक भिड़े.
RBI की मौद्रिक नीति में मौद्रिक नीति के कार्यान्वयन में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लिखतों का उपयोग किया जाता है। मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण लिखत इस प्रकार हैं:
- रेपो दर: निर्धारित ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों को सरकार के संपार्श्विक के विरुद्ध और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों के विरुद्ध ओवरनाईट चलनिधि प्रदान करता है।
- रिवर्स रेपो दर: निर्धारित ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों से पात्र सरकारी प्रतिभूतियों के संपार्श्विक के विरुद्ध, ओवरनाइट आधार पर, चलनिधि को अवशोषित करता है।
- चलनिधि समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility): एलएएफ में ओवरनाईट और साथ ही आवधि रेपो नीलामियां शामिल हैं। आवधि रेपो का उद्देश्य अंतर-बैंक आवधि मुद्रा बाजार को विकसित करने में मदद करना है, जो बदले में ऋण और जमा की कीमत के लिए बाजार आधारित बैंचमार्क निर्धारित कर सकते हैं,और इस कारण से मौद्रिक नीति के प्रसारण में सुधार किया जा सकता हैं। रिज़र्व बैंक बाजार स्थितियों के तहत आवश्यक होने पर, भी परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामियों का संचालन करता है।
- सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility): एक सुविधा जिसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक रिज़र्व बैंक से ओवरनाईट मुद्रा की अतिरिक्त राशि को एक सीमा तक अपने सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पोर्टफोलियो में गिरावट कर ब्याज की दंडात्मक दर ले सकते हैं। यह बैंकिंग प्रणाली को अप्रत्याशित चलनिधि झटकों के खिलाफ सुरक्षा वाल्व प्रदान करता है।
- RBI के 25 वें गवर्नर: शक्तिकांत दास; मुख्यालय: मुंबई; स्थापित: 1 अप्रैल 1935, कोलकाता.