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भारत ने जलवायु संकट की स्थिति पर जारी की राष्ट्रीय रिपोर्ट

भारत ने जलवायु संकट की स्थिति पर जारी की राष्ट्रीय रिपोर्ट |_3.1
भारत द्वारा जलवायु संकट की स्थिति पर देश की पहली राष्ट्रीय रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) के तत्वावधान में “Assessment Of Climate Change Over The Indian Region” अर्थात भारतीय क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का आकलन शीर्षक के साथ तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट में भारत जलवायु पैटर्न और उनके परिचर जोखिमों में दीर्घकालिक परिवर्तनों के संबंध में विश्लेषण किया गया है।

रिपोर्ट से जुड़ी मुख्य बाते:

  • इस रिपोर्ट से पता चला कि वर्ष 1901-2018 के दौरान भारत का औसत तापमान 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, इस तापमान वृद्धि का प्रमुख कारण ग्रीनहाउस गैसों (GHG) के उत्सर्जन को बताया गया है।
  • साथ ही इसमें 2099 तक भारत के तापमान में वृद्धि से संबंधित दो अलग-अलग परिदृश्यों की भविष्यवाणी की है। सबसे बेहतर मामले में, सदी के अंत भारत के तापमान में अभी भी 2.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी, जबकि सबसे खराब स्थिति में तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। 
  • मानसून के बारे में, यह दर्शाता है कि प्रदूषण फैलाने वाले एरोसोल “ब्राउन क्लाउड” की वजह से 1951-2015 के बीच उत्तर भारत में वर्षा 6% कम हो गई है। आगामी दशकों में मानसून के और अधिक चरम होने की उम्मीद है।
  • इसके अलावा इसमें 1976-2005 की तुलना में अप्रैल-जून हीटवेव के 2099 तक चार गुना अधिक होने की भविष्यवाणी की गई है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि मुंबई के पास समुद्र का स्तर प्रति दशक 3 सेमी की दर से बढ़ रहा है, जबकि बंगाल के तट से यह 5 सेमी प्रति दशक के अनुसार बढ़ रहा है।
  • साथ ही, इसमें उल्लेख किया गया है कि 1951-2015 के दौरान बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित हिंद महासागर में सतह का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है जो वैश्विक औसत से अधिक है।
  • इसके अतिरिक्त यह भी दर्शाता है कि गर्म दिनों और रातों की आवृत्ति क्रमशः 55% और 70% तक बढ़ने की उम्मीद है।

        उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य-

        • केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री: हर्षवर्धन.

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